चंडीगढ़ में ही हो हाईकोर्ट की इमारत: अदालत को बाहर ले जाकर दो राज्यों के बीच विवाद का कारण नहीं बनना चाहते
हाईकोर्ट के लिए वैकल्पिक इमारत के मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि इमारत चंडीगढ़ में ही चाहिए, किसी अन्य स्थान को लेकर दोनों राज्यों के बीच के विवाद का हम कारण नहीं बनना चाहते हैं। कोर्ट ने सभी पक्षों को 7 अगस्त को बैठक कर इस विषय के साथ ही अन्य विकल्पों पर विचार के बाद सुझाव सौंपने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने आईटी पाई में हाईकोर्ट के लिए स्थान देने पर जवाब मांगा तो प्रशासन ने इससे इनकार कर दिया। प्रशासन ने दलील दी कि यह जमीन तकनीकी विकास के लिए है। हाईकोर्ट परिसर के लिए जितनी जमीन की आवश्यकता है वह यहां उपलब्ध नहीं करवाई जा सकती। भविष्य की जरूरतों को लेकर सारंगपुर में यह जमीन उपलब्ध हो सकती है। साथ ही आईटी पार्क में अधिक ऊंची इमारतें नहीं बनाई जा सकती क्योंकि यह सुखना वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी को प्रभावित करेगा और पक्षियों को भी। कोर्ट ने कहा कि आईटी पार्क बन सकता है, होटल ललित बन सकता है तो हाईकोर्ट की इमारत क्यों नहीं। कोर्ट को बताया गया कि 123 एकड़ भूमि को हाउसिंग बोर्ड को दिया गया है ताकि निर्माण कार्य किया जा सके। प्रशासन ने कहा कि मास्टर प्लान में चेंज ऑफ लैंड यूज का प्रावधान नहीं है। सुनवाई के दौरान बताया गया कि मेट्रो से कनेक्टिविटी बढ़ेगी, इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि यह आपके पूरे शहर को बर्बाद कर देगी। कोर्ट ने कहा कि अतिरिक्त भूमि हम अपने लिए नहीं मांग रहे हैं हम सबके लिए मांग रहे हैं। अभी जजों के लिए 85 मंजूर पद हैं कल को मान लो 15 बढ़ जाएंगे हम 100 हो जाएंगे तब क्या करेंगे। कोर्ट ने कहा कि हमें नहीं लगता है कोई इस इमारत को छोड़ना चाहेगा, हमारी भावना जुड़ी हुई है। पुरानी सोच से बाहर आएं, भविष्य को देखते हुए शहर बसाएं कोर्ट से अनुरोध किया गया कि मनमानी करने वाले वकीलों का चालान किया जाना चाहिए और सख्ती बढ़ाई जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हम वकीलों और पुलिस को आमने-सामने नहीं लाना चाहते। गेट 1 से लेकर रॉक गार्डन तक वाहनों की अत्याधिक भीड़ पर हाईकोर्ट ने कहा कि 60 के दशक में शहर का प्लान तैयार किया गया था आज स्थिति बदल गई है तीसरा रास्ता क्यों नहीं बनाया जा सकता। वर्तमान में मौजूद दो रास्ते पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन को पुरानी सोच से बाहर आना चाहिए। फ्लाइओवर देगा समाधान चंडीगढ़ प्रशासन ने कहा कि पीजीआईएमईआर से सारंगपुर के बीच 4 लेन का एक नया फ्लाईओवर निर्माण के लिए उपयुक्त है। इसे इस वित्तीय वर्ष के लिए मंजूर किया गया है। यह खुड्डा लोहरा के रास्ते होकर निकलेगा और ट्रैफिक जाम कम करेगा। प्रस्ताव को चंडीगढ़ हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की उप-समिति के पास भेजा गया है। कोर्ट को बताया गया कि सेक्टोरियल ग्रिड के बाहर होने के चलते इससे शहरी पहचान या धरोहर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कोर्ट को बताया गया कि निर्माण कार्य करीब डेढ़ वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। सारंगपुर में लगभग 42 लाख वर्ग फुट कवर एरिया हाईकोर्ट के लिए प्रस्तावित है, जो मौजूदा आवश्यकताओं से कहीं अधिक है और आगामी 50 वर्षों तक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा। इसमें करीब 140 कोर्ट रूम बनाए जाने की योजना है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 02, 2025, 10:17 IST
चंडीगढ़ में ही हो हाईकोर्ट की इमारत: अदालत को बाहर ले जाकर दो राज्यों के बीच विवाद का कारण नहीं बनना चाहते #CityStates #Chandigarh #Chandigarh-haryana #Chandigarh-punjab #PunjabHaryanaHighCourt #HighcourtBuilding #ChandigarhAdministration #SubahSamachar