Etawah News: सचिवों का उभरा दर्द, बोले... 30 रुपये में कैसे करें गोवंशों की देखभाल
इटावा। लंबे समय से कम बजट में गोशालाओं की देखभाल करने वाले सचिवों का दर्द आखिर उभर आया। सीडीओ को बताया कि एक गोवंश पर रोजाना 100 से 110 रुपये तक का खर्च आता है। शासन की ओर से 30 रुपये ही मिलते हैं। इतने कम पैसों में गोवंशों की देखभाल कैसे संभव है। ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी संघ की ओर से जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन सीडीओ प्रणता ऐश्वर्या को दिया गया। बताया कि जिले में करीब 85 गोशालाएं संचालित हैं। प्रति गोवंश जो बजट मिलता है वह नाकाफी है। पशुपालन विभाग ने आरटीआई के जवाब में खुद स्वीकारा है कि एक मवेशी का पेट भरने में 100 से 110 रुपये प्रतिदिन खर्च होते हैं। इसके बाद भी बजट बढ़ाने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि निरीक्षण के दौरान अधिकारी हरा चारा, गुड़, नमक आदि मवेशी को देने के लिए कहते हैं। कमी पाए जाने पर वेतन, वेतनवृद्धि रोकने की कार्रवाई की जाती है। इस समय भूसे के दाम 14 से 16 रुपये किलो हैं। 30 रुपये में दो किलो ही भूसा आता है। इतने भूसे से मवेशी का पेट कैसे भरा जा सकता है। मवेशियों को भर पेट चारा न मिलने से वह कमजोर होकर मृतप्राय हो रहे हैं। आदेश के बाद भी ग्राम पंचायतों की ओर से राज्यवित्त की 15 प्रतिशत धनराशि गोशाला संचालन के लिए नहीं मिल रही है। पदाधिकारियों ने बताया कि गोवंशों की मृत्यु होने पर उनके अंतिम संस्कार के लिए भी कोई बजट नहीं दिया जाता। यह खर्च भी सचिव ही वहन करते हैं। इसके अलावा, प्रधान भी नियम विरुद्ध तरीके से भुगतान का दबाव बनाते हैं। ज्ञापन देने वालों में ग्राम विकासअधिकारी संघ के अध्यक्ष पूरन सिंह, ग्राम पंचायत अधिकारी संघ के अध्यक्ष प्रशांत पोरवाल, पंकज पाल, अजय कुमा, अभिषेक यादव, रीना यादव, मृदुल कुमार, जितेंद्र यादव, अशोक परिहार, भुवनेश शाक्य, संदीप सविता आदि शामिल रहे। नेटवर्क की समस्या के कारण नहीं हो पा रहा भुगतानसंघ की ओर से दिए गए ज्ञापन में बताया गया है कि बढ़पुरा और चकरनगर की कई ग्राम पंचायतों में नेटवर्क की समस्या के कारण ऑनलाइन भुगतान नहीं हो पा रहा है। उन्होंने इस समस्या को दूर कराने की मांग की है। कहा है कि आईजीआरएस पोर्टल पर आईं शिकायतें सचिवों को जांच के लिए तब दी जाती हैं जब वह डिफाल्टर की श्रेणी में आ जाती हैं। तत्काल इसकी जांच आख्या भी मांगी जाती है। इससे शिकायतों की सही जांच कर पाना संभव नहीं होता है। सचिवों ने इनके अलावा भी कई मांगे उठाई हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Jan 10, 2023, 23:42 IST
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