Railway: रेलवे का भी इंडिगो जैसा हाल? इन डिमांड को लेकर लोको पायलटों ने दी चेतावनी; थकान रोकें, वरना संकट आएगा
देश में इंडिगो संकट अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुआ है कि दूसरी तरफ भारतीय रेलवे के लोको पायलट भी अपनी मांगों को लेकर मुखर हो गए है। ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से डिमांड की है कि एयरलाइन पायलटों के लिए लागू किए गए थकान प्रबंधन नियमों को रेलवे में भी तुरंत प्रभाव से लागू किया जाना चाह। लोको पायलट की थकान से रेल दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है। इंडिगो जैसी स्थिति रेलवे में आ सकती है। एसोसिएशन का कहना है कि, सरकार का इंडिगो को लेकर रवैया बहुत नरम है, जबकि सरकारी कर्मचारियों के मामले में अलग रणनीति अपनाई जाती है। अगर लोको पायलट अपनी मांग पर अड़ जाते हैं तो इसका असर ट्रेनों पर दिखाई दे सकता है। ऐसा होने पर रेल यात्रियों को भी बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। एसोसिएशन वर्षों से रिक्त लोको पायलट रिक्तियों और श्रम सुधारों में देरी को लेकर विरोध जता रहे हैं। भारतीय रेलवे को मौजूदा एविएशन संकट से सीख लेनी चाहिए। विमानन क्षेत्र की तुलना में रेलवे तकनीकी दृष्टि से बहुत पीछे है, लेकिन यह रोजाना करोड़ों यात्रियों को ढोता है। ऐसे में लोको पायलटों की सतर्कता अत्यंत महत्वपूर्ण है। एसोसिएशन ने रेलवे को सौंपे गए प्रतिनिधित्व पत्र में कहा कि लंबे समय से लंबित क्रू प्रबंधन सुधार, गैर-वैज्ञानिक रोस्टर और थका देने वाली ड्यूटी न सिर्फ कर्मचारियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि सुरक्षा मानकों को भी कमजोर कर रही हैं। एसोसिएशन ने डिमांड की कि लोको पायलटों के लिए तुरंत एफआरएमएस-आधारित कार्य प्रणाली अपनाया जाना चाहिए। जिसमें दैनिक ड्यूटी की सीमा छह घंटे हो। हर ड्यूटी के बाद 16 घंटे के निश्चित आराम की अवधि और दैनिक आराम के अलावा साप्ताहिक आराम होना चाहिए। एसोसिएशन का कहना है, यूरोपीय संघ (ईयू) के रेलवे सख्त संचयी ड्यूटी और आराम की सीमा का पालन करते हैं। अमेरिकी रेलवे आवर्स ऑफ सर्विस एक्ट के तहत काम करते हैं, जिसमें अनिवार्य रूप से ऑफ-ड्यूटी आराम का प्रावधान है। जबकि ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में कर्मचारियों के ड्यूटी शेड्यूल को डिजाइन करने के लिए उन्नत बायो-मैथमेटिकल मॉडल का उपयोग किया जाता है। ये भी पढ़ें :Indigo Crisis:डीजीसीए का इंडिगो पर कड़ा एक्शन; एयरलाइन की उड़ानों में 5% की कटौती, सीईओ बोले- हमें माफ कर दो ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन कई समय से लोको पायलट की भर्ती की मांग की रहा है। हालांकि रेलवे ने हाल में भर्ती प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन इसे पूरा होने में काफी समय लगेगा। पायलटों की इन्हीं कमी के चलते लोको पायलटों से 12-16 घंटे तक लगातार ड्यूटी करवाई जा रही है। जो संसद द्वारा 2016 में तय 10 घंटे की सीमा का उल्लंघन है। कई रेल दुर्घटनाओं की जांच में लोको पायलटों की थकान को मुख्य कारण बताया गया है। रेलवे की कई समितियों ने वैज्ञानिक कामकाजी घंटों की सिफारिश की थी, लेकिन अमल नहीं हुआ। कर्नाटक हाईकोर्ट ने 2010 में दैनिक आराम काटने पर रोक लगाई थी, फिर भी उल्लंघन जारी है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 09, 2025, 16:12 IST
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