DMK: मद्रास हाईकोर्ट के जज को हटाने की कवायद तेज, डीएमके की अगुवाई में विपक्ष ने लोकसभा स्पीकर को सौंपा नोटिस
मद्रास हाईकोर्ट के जज जीआर स्वामीनाथन को पद से हटाने की विपक्ष ने कवायद तेज कर दी है।मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट के जज के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकरडीएमके के नेतृत्व में कई विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को नोटिस सौंपा। नोटिस में जज को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने की अनुमति मांगी गई है।जस्टिस जीआर स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच में जज हैं। तमिलनाडु के थिरुवरूर के रहने वाले है। डीएमके संसदीय दल की नेता कनिमोझी, लोकसभा में पार्टी नेता टीआर बालू, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने 120 से अधिक सांसदों के हस्ताक्षर के साथ यह नोटिस सौंपा।9 दिसंबर को सौंपे गए महाभियोग नोटिस के मुताबिक, मद्रास हाई कोर्ट के जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन को हटाने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 और 124 के तहत ये प्रस्ताव पेश किया गया है। पिछले शुक्रवार को यह मुद्दा लोकसभा में भी गूंजा था। बालू ने आरोप लगाया कि भाजपा तमिलनाडु में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश कर रही है, जबकि केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन ने राज्य सरकार पर पूजा के अधिकार से इनकार का आरोप लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई पर विचार करने की सहमति जताई है। इससे पहले, मदुरै बेंच ने जिला कलेक्टर और पुलिस आयुक्त की अपील खारिज करते हुए एकल-न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें भक्तों को दीप जलाने की अनुमति दी गई थी। क्या है मामला यह मामला मदुरै के पास थिरुपरंकुंद्रम पहाड़ी पर स्थित अरुलमिघु सुब्रमण्य स्वामी मंदिर में दीपथून (स्तंभ) पर पारंपरिक दीप जलाने के आदेश से जुड़ा है। जस्टिस स्वामीनाथन ने 1 दिसंबर को अपने आदेश में कहा था कि मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह दीप जलाए। यह दीपस्तंभ दरगाह के नजदीक स्थित है, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया था कि इससे दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा। आदेश लागू न होने पर जज ने 3 दिसंबर को एक और आदेश जारी कर भक्तों को स्वयं दीप जलाने की अनुमति दे दी और सीआईएसएफ को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। इसके बाद तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। ये भी पढ़ें:Indigo Crisis:सरकार का इंडिगो पर कड़ा एक्शन; एयरलाइन की उड़ानों में 10% की कटौती, सीईओ बोले- हमें माफ कर दो क्या है आरोप नोटिस में आरोप लगाया गया है कि जस्टिस स्वामीनाथन का आचरण निष्पक्षता, पारदर्शिता और न्यायपालिका के धर्मनिरपेक्ष कामकाज के बारे में गंभीर सवाल उठाता है। इसमें यह भी आरोप लगाया गया कि जस्टिस स्वामीनाथन ने सीनियर एडवोकेट एम श्रीचरण रंगनाथन के प्रति "अनुचित पक्षपात" दिखाया और मामलों का फैसला करते समय एक विशेष समुदाय के वकीलों का पक्ष लिया। इसमें कहा गया है कि किसी विशेष राजनीतिक विचारधारा के आधार पर मामलों का फैसला करना भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ है। किन-किन सांसदों ने किए हस्ताक्षर डीएमके टीआर बालू, ए राजा, कनीमोझी, दयानिधि मारन, कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, गौरव गोगोई, मनिकम टैगोर, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और डिंपल यादव, एनसीपी-शरद पवार की सुप्रिया सुले, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, आईयूएमएल के ईटी मुहम्मद बसीर, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, वीसीके के थोल तिरुमावलवन जैसे सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 09, 2025, 16:17 IST
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