Supreme Court: 'जिला जज पद पर प्रमोटी जजों के लिए विशेष कोटा नहीं', सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज के पद पर प्रमोटी जजों के लिए किसी विशेष कोटा या वेटेज की संभावना खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने बुधवार को कहा, उच्चतर न्यायिक सेवा में सीधी भर्ती के असमान प्रतिनिधित्व का कोई राष्ट्रव्यापी पैटर्न नहीं है। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, न्यायिक अधिकारियों में नाराजगी की भावना उच्चतर न्यायिक सेवा (एचजेएस) कैडर के भीतर किसी भी कृत्रिम वर्गीकरण को उचित नहीं ठहरा सकती। नियमित पदोन्नति, सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा और सीधी भर्ती जैसे स्रोतों से एक ही कैडर में प्रवेश और वार्षिक रोस्टर के अनुसार वरिष्ठता पर पदधारी उस स्रोत का निशान खो देते हैं, जहां से उनकी भर्ती हुई है। पीठ ने कहा, एचजेएस में चयन ग्रेड और सुपर टाइम स्केल में नियुक्ति कैडर के भीतर योग्यता-सह-वरिष्ठता पर आधारित है। यह न्यायपालिका के निचले स्तरों पर सेवा की अवधि या प्रदर्शन पर निर्भर नहीं हो सकती। नियमित पदोन्नत और एलडीसीई के एचजेएस में आने के बाद सिविल जज के रूप में सेवा महत्व खो देती है। पीठ ने कहा, सिविल जज के रूप में कार्यकाल एवं प्रदर्शन जिला जज के सामान्य कैडर में पदधारियों को वर्गीकृत करने के लिए कोई स्पष्ट अंतर नहीं रखते। निजी आकांक्षाएं सामान्य पहलू पीठ ने कहा, व्यक्तिगत आकांक्षाएं किसी भी सेवा का सामान्य पहलू हैं। वे वरिष्ठता नियमों का मार्गदर्शन नहीं कर सकतीं। शीर्ष कोर्ट ने संविधान प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिला जज पदों को भरने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। इनमें प्रमुख है, एचजेएस अधिकारियों की वरिष्ठता वार्षिक 4-बिंदु रोस्टर के जरिये तय होगी, जिसे उस विशेष वर्ष में नियुक्त सभी अधिकारियों की ओर से 2 नियमित पदोन्नत, 1 एलडीसीई और 1 डीआर के आवर्ती क्रम में भरा जाएगा।सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सेवारत न्यायिक अधिकारियों के पास जिला जज के रूप में पदोन्नति के पर्याप्त अवसर हैं, खासकर उस ताजा फैसले के बाद, जिसमें उन्हें सीधी भर्ती की अनुमति दी गई है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 20, 2025, 04:43 IST
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