Bihar SIR: चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ कल सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई, राजनीतिक दलों ने दायर की हैं याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिनमें चुनाव आयोग द्वारा 24 जून को चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के फैसले को चुनौती दी गई है। इन याचिकाओं में राजनीतिक दलों की याचिकाएं भी शामिल हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ इस मामले में सुनवाई करेगी। इसमें राजद, एआईएमआईएम और अन्य याचिकाकर्ताओं ने चुनाव आयोग के उस नोट पर जवाब दाखिल किया है, जिसमें आयोग ने कहा था कि बिहार की 7.24 करोड़ मतदाता सूची में से 99.5% मतदाताओं ने अपनी पात्रता से जुड़े दस्तावेज जमा कर दिए हैं। पिछली सुनवाई में दिए थे अहम निर्देश 22 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर हुए मतदाता ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से अपने दावे और आपत्तियां दाखिल करा सकेंगे। इसके बाद भी कई राजनीतिक दलों ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी। 1 सितंबर की सुनवाई में चुनाव आयोग ने अदालत को बताया था कि दावे, आपत्तियां और सुधार 1 सितंबर के बाद भी दाखिल किए जा सकते हैं, लेकिन इन पर विचार केवल अंतिम मतदाता सूची तैयार होने के बाद ही होगा। आयोग ने कहा था कि अंतिम नामांकन तिथि तक दावे और आपत्तियां दाखिल की जा सकती हैं। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी शीर्ष अदालत ने बिहार एसआईआर को लेकर व्याप्त भ्रम को "मुख्यतः विश्वास का मामला" बताया और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज कराने में व्यक्तिगत मतदाताओं और राजनीतिक दलों की सहायता के लिए अर्ध-कानूनी स्वयंसेवकों को तैनात करे। चुनाव आयोग ने अपने 24 जून के शेड्यूल में दावे और आपत्तियां दाखिल करने की अंतिम तिथि 1 सितंबर तय की थी और कहा था कि अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी। शीर्ष अदालत ने राजनीतिक दलों से चुनाव आयोग के नोट के जवाब में अपने जवाब दाखिल करने को कहा था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि पैरालीगल स्वयंसेवक संबंधित जिला न्यायाधीशों को एक गोपनीय रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे और राज्य के एकत्रित आंकड़ों पर 8 सितंबर को विचार किया जाएगा। उसने कहा था कि चुनाव आयोग को बिहार एसआईआर से संबंधित 24 जून के आदेश में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा और मसौदा सूची से नामों को बाहर करने के लिए दायर आपत्तियों की उच्च दर पर चिंता व्यक्त की थी। अदालत ने कहा था, राजनीतिक दलों को खुद को सक्रिय करने की आवश्यकता है और मामले की सुनवाई 8 सितंबर के लिए स्थगित कर दी थी। राजद ने अधिवक्ता फौजिया शकील के माध्यम से और एआईएमआईएम ने अधिवक्ता निजाम पाशा के माध्यम से दायर याचिका में चुनावी राज्य बिहार में चुनाव पुनरीक्षण प्रक्रिया में दावे और आपत्तियां दायर करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है।2003 के बाद पहली बार हो रही विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया के बाद बिहार में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 7.9 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ रह गई है। ये भी पढ़ें:VP Polls:भाजपा की कार्यशाला के दौरान अंतिम पंक्ति में दिखे पीएम मोदी; जीएसटी सुधारों के लिए किया गया सम्मानित

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 07, 2025, 15:35 IST
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