नीतीश कटारा हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते बढ़ाई दोषी की अंतरिम जमानत, पीड़ित पक्ष ने किया विरोध
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नीतीश कटारा हत्या मामले के दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत को एक हफ्ते के लिए बढ़ा दिया। विकास यादव 25 साल से जेल की सजा काट रहा है। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच दिल्ली हाईकोर्ट के 22 अगस्त के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने विकास यादव की उस अंतरिम जमानत बढ़ाने से इनकार कर दिया था, जो शीर्ष कोर्ट ने 29 जुलाई को दी थी। जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, जस्टिस कोटिस्वर सिंह ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। जस्टिस सुंदरेश ने दोनों पक्षों के वकीलों को बताया कि अब यह मामला किसी और बेंच के पास भेजा जाएगा, जिसके लिए मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर.गवई का इंतजार किया जाएगा। जैसे ही जस्टिस कोटिस्वर सिंह ने खुद को अलगा किया, विकास यादव के वकील ने अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग की और कहा कि उनके मुवक्किल की शादी तय हुई है। ये भी पढ़ें:मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जरांगे का अनशन चौथे दिन भी जारी, कहा- आज से बंद करूंगा पानी पीना इस पर नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा के वकील ने विरोध जताया और कहा कि विकास यादव (54 वर्षीय) पहले ही जुलाई में शादी कर चुका है। फिर भी शीर्ष कोर्ट ने उसकी अंतरिम जमानत एक हफ्ते के लिए और बढ़ा दी। विकास यादव 23 साल जेल में बिता चुका है। उसने यह कहकर जमानत की मांग की कि उसकी पांच सितंबर को शादी और उसे 54 लाख रुपये का जुर्माना भरने की व्यवस्था भी करनी है, जो सजा के वक्त कोर्ट ने लगाया था। इससे पहले जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने हाईकोर्ट की राय से सहमति जताई और कहा कि यह मामला जस्टिस सुंदरेश की बेंच को ही सुनना चाहिए, जिन्होंने 29 जुलाई को जमानत का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने 22 अगस्त को यह मामला दो सितंबर तक के लिए टाल दिया था, क्योंकि वह यह तय नहीं कर पा रहा था कि उसे पास जमानत बढ़ाने का अधिकार है या नहीं। ये भी पढ़ें:बीआरएस नेता KTR बोले- आयोग की रिपोर्ट 'कचरा', कालेश्वरम परियोजना बंद करने साजिश कर रही कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का ऐसा करना जायज था, क्योंकि निचली अदालत की ओर से दी गई पहले ही अंतिम रूप ले चुकी है, जिसे हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने बिना किसी छूट के 25 साल की सजा के रूप में मंजूरी दी थी। शीर्ष कोर्ट ने कहा, हाईकोर्ट का यह मानना सही लगता है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने भी यह तय कर दिया है कि दोषी को सजा में कोई छूट नहीं मिलेगी, तब हाईकोर्ट के पास जमानत बढ़ाने का अधिकार नहीं है। यह फैसला केवल सुप्रीम कोर्ट ही ले सकता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 01, 2025, 12:02 IST
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