GST Reform Report: दो दरों से बेहतर होगी टैक्स प्रणाली, थिंक चेंज फोरम ने कर सरलीकरण को बताया असली सुधार

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की सफलता के लिए टैक्स सिस्टम को और आसान बनाना जरूरी है। इसके लिए जीएसटी 2.0 में सिर्फ दो टैक्स स्लैब 5% और 18% प्रतिशत रखे जाने चाहिए। थिंक टैंक थिंक चेंज फोरम की रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है। ये भी पढ़ें:Gold Silver Rate:सोना पहली बार 1.5 लाख रुपये के पार, चांदी में भी रिकॉर्ड उछाल; इस कारण तेजी, क्या होगा आगे 40% अलग स्लैब पर दी चेतावनी रिपोर्ट जीएसटी 2.0: टू स्लैब्स टुडे, वन रेट टुमॉरो में चेतावनी दी गई है कि 40% का अलग स्लैब बनाने से, चाहे वह सीमित विलासिता या पाप वस्तुओं के लिए ही क्यों न हो, आगे चलकर इसका दायरा बढ़ सकता है। इससे ज्यादा उत्पाद इस श्रेणी में आ जाएंगे और कर प्रणाली को सरल बनाने का मूल उद्देश्य प्रभावित होगा। फोरम ने जोर देकर कहा कि सभी अप्रत्यक्ष करों, जिनमें सेस भी शामिल हैं, की ऊपरी सीमा 18% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। क्या होगा फायदा इसमें कहा गया कि इससे एक ही झटके में उलटे शुल्क ढांचे जैसी विसंगतियां दूर हो जाएंगी। ग्रे और अवैध बाजारों में कमी आएगी, मुकदमेबाजी और अनुपानल बोझ कम होगा और जीएसटी प्रणाली की विश्वसनीयता बहाल होगी। जीएसटी परिषद की बैठक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय जीएसटी परिषद की 3 और 4 सितंबर को बैठक होने वाली है। इसमें 5 और 18 प्रतिशत की दो स्लैब वाली कर व्यवस्था पर चर्चा की जाएगी। केंद्र के अलावा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों वाली परिषद दरों को युक्तिसंगत बनाने, क्षतिपूर्ति उपकर और स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा पर तीन मंत्री समूहों की सिफारिशों पर विचार-विमर्श करेगी। करों में नरमी है विकास की रणनीति रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि करों में नरमी राजस्व का त्याग नहीं, बल्कि विकास की रणनीति है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विकृतियों को कम करके, भारत उपभोग बढ़ा सकता है, अनुपालन बढ़ा सकता है, और समय के साथ भारी कर संग्रह कर सकता है। इससे विकसित अर्थव्यवस्था बनने की उसकी महत्वाकांक्षा को बल मिलेगा। पिछले दरवाजे से राजस्व प्राप्त करने के तरीकों से बचे रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दरवाजे से राजस्व प्राप्त करने के तरीकों से भी बचने की जरूरत है। लेन-देन मूल्य के बजाय अधिकतम खुदरा मूल्य पर कर लगाने या इनपुट टैक्स क्रेडिट को संरक्षित किए बिना बीमा जैसे क्षेत्रों को जीएसटी से छूट देने जैसे उपाय जीएसटी के डिजाइन को विकृत करते हैं और छिपी हुई लागतों को जोड़ते हैं। एक राष्ट्र, एक कर थिंक चेंज फोरम के महासचिव रंगनाथ टी ने कहा कि जीएसटी सुधार प्रतीकात्मकता से आगे बढ़ना चाहिए। भारत के लोगों के लिए एक वास्तविक संशोधन बनने के लिए, इसके विवरण महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य एक पारदर्शी, पूर्वानुमानित कर प्रणाली होना चाहिए। इसमें उच्चतम दर 18 प्रतिशत पर रहे और धीरे-धीरे एकल दर पर आ जाए। उन्होंने कहा कि तभी जीएसटी सही मायने में 'एक राष्ट्र, एक कर' बन पाएगा। सरलीकरण है असल सुधार महिंद्रा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और रिपोर्ट के लेखक नीलांजन बनिक ने कहा कि असल सुधार सरलीकरण में है, आज दो स्लैब और कल एक समान दर। यही रास्ता ज्यादा अनुपालन, कम विकृतियों और स्थायी राजस्व वृद्धि की ओर ले जाएगा। उन्होंने दोहराया कि जीएसटी को सरल और पारदर्शी बनाने से कारोबारियों का बोझ कम होगा और टैक्स प्रणाली पर भरोसा बढ़ेगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 01, 2025, 15:29 IST
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