VIDEO : किसी में खाली तो किसी में टूटे पड़े हैं फर्स्ट एड बॉक्स, यात्रियों को उपचार मिलना मुश्किल

यदि आप मऊ डिपो की रोडवेज बसों में सफर कर रहे हैं तो जरूरत की कुछ दवाईयां अपने साथ रख लें। क्योंकि डिपो की अधिकांश बसों में प्राथमिक उपचार के लिए रखे गए फर्स्ट एड बॉक्स खाली हैं या टूटे पड़े हैं। तबीयत बिगड़ने पर बस छोड़कर डॉक्टर की तलाश करनी पड़ेगी। उसके उलट मऊ डिपो के अफसर सभी बसों में प्राथमिक उपचार की दवाईयां होने का दावा करते हैं। जबकि स्थिति इसके उलट है। मऊ डिपो के बेड़े में बसों की संख्या 63 है। इनमें 53 परिवहन निगम की और 10 अनुबंधित हैं। सात माह पहले डिपो में शामिल हुईं केवल नौ नई बसों में फर्स्ट एड बॉक्स हैं, उनमें दवाईयां समेत मरहम पट्टी भी है। 80 के दशक की टेक्नॉलाजी वाली ऐसी छह रोडवेज बसें जो 13.5 साल पुरानी हैं और 12 लाख किलोमीटर चल चुकी हैं। रोडवेज बसों में फर्स्ट एड बॉक्स इसलिए लगाए जाते हैं कि यात्रियों को किसी भी तरह की स्वास्थ्य से संबंधित दिक्कत होने पर उसे प्राथमिक उपचार बस में ही मिल जाए और उसे गंभीर होने से पहले अस्पताल पहुंचाया जा सके। सोमवार को अमर उजाला की टीम ने नगर स्थित रोडवेज बस स्टेशन परिसर में खड़ी मऊ डिपो सहित अन्य डिपो की बसों में पड़ताल किया। अधिकांस बसों में फर्स्ट एड बॉक्स ही खाली थे, जिन बसों में थे उनपर जमे धूल मिट्टी और जाले बता रहे थे कि लगाने के बाद से वो कभी खुले ही नहीं। इससे जुड़े सारे इंतजाम ड्राइवर के पास है, जबकि ड्राइवरों को इसके बारे में कुछ नहीं पता होता है। ऐसे में साफ है कि जरूरत पड़ने पर बसों में यात्रियों को कोई सुविधा नहीं मिल पाएगी। बोले अधिकारी सभी बसों में फर्स्ट एड बॉक्स की सुविधा है। समय समय पर उनमें जरूरत की दवाईयां भी रखी जाती हैं। बार-बार टूट जाता है इसलिए जहां चालक होता है वहीं सौंप दिया जाता है। जरूरत पड़ने पर यात्रियों को इसका लाभ मिलता है। यदि कुछ बसों में नहीं है तो उसे भी ठीक कराया जाएगा। -हरिशंकर पांडेय , एआरएम, मऊ

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 09, 2024, 19:47 IST
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