Mandi: किरतपुर-मनाली फोरलेन बरसात में बदहाल, 10 से ज्यादा जगह टूटा हाईवे, टोल बंद करने की उठी मांग

बरसात का मौसम किरतपुर-मनाली फोरलेन के लिए किसी इम्तिहान से कम नहीं साबित हो रहा है। जगह-जगह लैंडस्लाइड, सड़क धंसने और भूस्खलन के कारण हाईवे की हालत बद से बदतर हो चुकी है। मंडी से कुल्लू मार्ग कि हालत तो इतनी बुरी है कि कई जगह सड़क का बड़ा हिस्सा बह गया है, जिसके चलते लगभग 10 स्थानों पर यातायात सिर्फ एकतरफा चल रहा है। वहीं, बरसात के दौरान कई बार मार्ग घंटों के लिए पूरी तरह बंद हो जाता है, जिससे यात्रियों और वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मां बगला मुखी टेक्सी ऑपरेटर यूनियन पंडोह के महासचिव नीरज खत्री और मिडिया प्रभारी डिम्पल और पूर्व प्रधान घनश्याम शर्मा व अन्य टेक्सी चालकों ने एनएचएआई और प्रशासन से सीधा सवाल किया जब बरसात में फोरलेन की यह हालत है, तो फिर टोल किस बात का वसूला जा रहा है। जब तक मार्ग पूरी तरह दुरुस्त नहीं हो जाता, तब तक किरतपुर-मनाली के बीच सभी टोल प्लाज़ा को बंद रखा जाए। उन्होंने कहा कि लगातार खराब सड़कें और बंद मार्ग से टैक्सी चालकों की कमाई पर सीधा असर पड़ रहा है। यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी के साथ-साथ ड्राइवरों को कई बार एक ही जगह घंटों खड़ा रहना पड़ता है, जिससे ईंधन, समय और पैसे तीनों का नुकसान हो रहा है। स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले पर्यटक भी अब टोल प्लाज़ा पर सवाल उठाने लगे हैं। खराब सड़कों, लंबा इंतजार और लगातार जाम में फंसे रहने के बावजूद टोल वसूली से आम जनता में रोष बढ़ता जा रहा है। कई जगह ड्राइवरों ने टोल प्लाज़ा पर बहस करते हुए कहा कि जब सफर सुविधा रहित और खतरनाक है, तो टोल लेना अन्याय है।हाईवे की मौजूदा हालत को देखते हुए स्थानीय संगठनों, वाहन मालिकों और यात्रियों की एक ही मांग हैकि बरसात के मौसम में हाईवे की मरम्मत युद्धस्तर पर की जाए और तब तक टोल वसूली पर रोक लगाई जाए। लोग कह रहे हैं कि सिर्फ फोरलेन का टैग लगने से सड़क सुरक्षित और सुगम नहीं हो जाती, असली सुविधा तब है जब रास्ता हर मौसम में बिना रुकावट और खतरे के इस्तेमाल हो सके। बरसात के इस सीज़न ने साफ कर दिया है कि किरतपुर-मनाली फोरलेन की मजबूती और रखरखाव पर गंभीर पुनर्विचार की ज़रूरत है। फिलहाल, ड्राइवर और यात्री दोनों इंतजार कर रहे हैंएक ऐसी सड़क के लिए जो सच में फोरलेन कहलाने लायक हो, न कि बरसात आते ही मुश्किलों का दूसरा नाम बन जाए।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 11, 2025, 14:57 IST
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