बड़ी राहत: संकटों से घिरी दुनिया में किसानों का कमाल, अनाज उत्पादन तोड़ेगा रिकॉर्ड

संकटों से जूझ रही दुनिया में किसान अपना काम चुपचाप करते रहे। इसी का असर है कि इस साल वैश्विक अनाज उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है। अनुमान है कि कुल उत्पादन 4.4 फीसदी बढ़कर 299 करोड़ टन तक पहुंच सकता है, जो अब तक का सर्वाधिक स्तर होगा। यह वृद्धि उस समय हो रही है जब दुनिया के कई हिस्सों में खाद्य मुद्रास्फीति, जलवायु संकट और आपूर्ति व्यवधानों से लोग जूझ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बेहतर मौसम, उन्नत कृषि तकनीक और निर्यात प्रतिबंधों में ढील ने इस सकारात्मक रुझान को संभव बनाया है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार मक्का, गेहूं और चावल तीनों प्रमुख अनाजों की पैदावार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद है। सबसे अधिक उछाल मक्का की फसल में देखा जा सकता है, जबकि चावल की वृद्धि दर अपेक्षाकृत कम रहेगी, लेकिन यह भी अपने इतिहास के उच्चतम स्तर तक पहुंचने की संभावना रखता है। इसके अलावा जौ जैसे अन्य अनाजों के उत्पादन में भी इजाफे की उम्मीद है। अनुमान है कि 2025 के अंत तक वैश्विक अनाज भंडार 5.7 फीसदी बढ़कर 91.6 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगा। यह 2017-18 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर होगा। यानी वर्ष 2025-26 में दुनिया के पास जितना अनाज उपभोग के लिए आवश्यक होगा, उसका लगभग 31.1% अतिरिक्त भंडार पहले से मौजूद रहेगा। यह अनुपात जितना ऊंचा होगा, किसी आकस्मिक आपदा जैसे सूखा, बाढ़, युद्ध या निर्यात प्रतिबंध की स्थिति में भी खाद्य संकट की संभावना कम होगी। आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल ने बढ़ाया उत्पादन 2025 में चरम मौसमी घटनाओं के बावजूद वैश्विक स्तर पर रिकॉर्ड अनाज उत्पादन इसलिए संभव हो पा रहा है, क्योंकि कई देशों ने जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों और उन्नत बीजों का बड़े पैमाने पर उपयोग शुरू कर दिया था। रूस, युद्ध के बावजूद दक्षिणी क्षेत्रों में स्थिर उत्पादन बनाए रखने में सफल रहा। वह आधुनिक सिंचाई प्रणालियों और सैटेलाइट आधारि्त फसल निगरानी तकनीक से उपज बढ़ा रहा है। वहीं, अमेरिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित कृषि पूर्वानुमान प्रणालियों और जलवायु-सहनशील फसलों के उपयोग ने उत्पादन को स्थिर बनाए रखा। निर्यात प्रतिबंधों में ढील दे रहा वैश्विक राहत संयुक्त राष्ट्र के अधीन कार्यरत एएमआईएस की नई मार्केट मॉनिटर रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के कई प्रमुख अनाज उत्पादक देश अब निर्यात प्रतिबंधों में ढील दे रहे हैं। अर्जेंटीना, भारत और रूस जिन्होंने 2024 से 2025 के बीच खाद्यान्नों पर कड़े निर्यात प्रतिबंध लगाए थे, अब धीरे-धीरे इन प्रतिबंधों को कम कर रहे हैं। इससे वैश्विक आपूर्ति शृंखला में राहत मिलेगी और खाद्य कीमतों में स्थिरता आने की उम्मीद है। आर्थिक और मानवीय दोनों दृष्टियों से 2025 को खाद्य स्थिरता का वर्ष कहा जा सकता है। अच्छी फसल, भरे हुए भंडार और व्यापारिक रुकावटों में कमी के कारण किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 09, 2025, 07:05 IST
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