Bihar Election 2025: पहले चरण में 65.04 फीसदी मतदान, SIR, युवा, प्रवासी मजदुर बने बड़े फैक्टर।

पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। निर्वाचन आयोग ने मतदान का अंतिम आंकड़ा भी जारी कर दिया है। 2020 के विधानसभा चुनाव के 57.29 फीसदी के मुकाबले इस बार करीब 65.08 फीसदी मतदान हुआ। खास बात यह रही कि इस बार महिलाओं के वोट 9.34 फीसदी अधिक हुए। पुरुषों के भी वोट सात प्रतिशत बढ़े। इन सब के बीच कुछ ऐसे आंकड़े भी हैं जो की चौंकाने वाले हैं। इनमें कुछ जिले ऐसे हैं जहां का वोट प्रतिशत 10 फ़ीसदी से भी ज्यादा बढ़ा है। आइए जानते हैं इनके बारे मेंनिर्वाचन आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक मुजफ्फरपुर जिले के मतदाताओं ने वोट किया। यहां पर 71.41 फ़ीसदी वोटिंग हुई। खास बात यह है की 2020 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 13.2 फीसदी वोटिंग हुई है। वही सबसे कम वोटिंग पटना में हुई। इस बार 58.40 फीसदी पटना में वोटिंग हुई। हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव में 52.34 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस बार 6.71 फीसदी वोट बढ़ जरूर लेकिन बिहार में पहले चरण में हुए मतदान में सबसे पीछे रहने वाला जिला पटना ही है। मुंगेर में इस बार 63.23 फीसदी मतदान हुआ पिछले चुनाव में 50.11 फीसदी मतदान यहां हुआ था। यानी इस बार यहां 13.12 फीसदी ज्यादा वोट पड़े। इसी तरह समस्तीपुर में इस बार 71. 22 फीसदी मतदान हुआ पिछले चुनाव की तुलना में यहां 12.28% वोट बढ़े हैं। इसके बाद सहरसा में 69.15 फीसदी वोट पड़े पिछले चुनाव की तुलना में यहां 11.21 फीसदी वोट बढ़े हैं। इसी तरह गोपालगंज में 66.58 फीसदी वोटिंग हुई। इस बार यहां 10.22 फीसदी वोट बढ़े। लखीसराय में 65.05 फीसदी वोटिंग हुईं। यहां इस बार 10.65 फीसदी वोट बढ़े। बक्सर में 9.62 फीसदी, बेगूसराय में 9.36 फीसदी, खगड़िया में 9.39 फीसदी, वैशाली में 8.71 फीसदी, मधेपुरा में 7.57 फीसदी, शेखपुरा में 7.04 फीसदी, दरभंगा में 6.91 फीसदी, सीवान में 6.81 फीसदी, नालंदा में 6.71 फीसदी, भोजपुर में 6.70 फीसदी वोट बढ़े हैं। चुनाव आयोग ने पहले चरण में दर्ज 65.08 फीसद मतदान का लिंग अनुपात अभी तक जारी नहीं किया है. लिंग अनुपात जारी होने के बाद मालूम हो सकेगा कि इस बार महिलाओं की हिस्सेदारी ज्यादा रही या पुरुषों की.ज्यादा वोट डाले जाने के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं. विपक्ष के कई नेताओं ने दावा किया है कि वोटर टर्नआउट में बढ़ोत्तरी सत्ता परिवर्तन को दर्शा रही है. वहीं जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि ज्यादा वोट डाले जाने से उनके दल को फायदा होगा. केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान ने समाचार एजेंसी ANI को बताया, “NDA को भारी जनादेश मिलेगा और भारी मतदान ने इसे साबित कर दिया है.” उन्होंने आगे कहा कि बिहार के पिछले चुनावों ने भी यह साबित कर दिया है. बता दें कि BJP और JDU एनडीए का हिस्सा हैं, जो बिहार में सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहा है. इस बार बिहार चुनाव छठ पूजा के दौरान आए हैं और पलायन-रोजगार जैसे मुद्दे चुनावों में हावी रहे. बिहार के ज्यादातर लोग बिहार से दूर नौकरी करने जाते हैं. त्योहार के दौरान मतदान होने से लोग बिहार में रुक गए और वोट ज्यादा डाले गए. वहीं युवाओं ने भी इस बार बढ़-चढ़कर मतदान किया है.बिहार में वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी को स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (Special Intensive Revision) से जोड़ कर भी देखा जा रहा हैं. SIR के कारण ऐसे मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं, जो हकीकत में है ही नहीं. SIR के बाद बिहार पहला ऐसा राज्य है जहां चुनाव हो रहा हैं. राज्य में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के तहत मतदाताओं की संख्या में कमी आई है. वोटर पिछले चुनाव के मुकाबले कम होने से भी मतदान प्रतिशत बढ़ा हुआ दिख सकता है. एसआईआर के तहत बिहार की अंतिम मतदाता सूची में से करीब 65 लाख वोटरों के नाम हटा दिए गए हैं.

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 08, 2025, 13:57 IST
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