Bihar Election Result : बहुमत परीक्षण में जो आए साथ, उनका क्या हुआ? बागी बिहार चुनाव में कहां हारे-जीते
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के बाद बनी थी एनडीए सरकार। फिर 2022 में महागठबंधन सरकार बनी। जनादेश से बनी सरकार पिछले साल जनवरी में फिर वापस लौटी। इस वापसी के समय बहुत तरह का उलटफेर हुआ। खेला की बात विपक्ष करता रहा, लेकिन खेला सत्ता पक्ष कर गया। विपक्ष में रहे विधायक सत्ता के साथ आ गए। कार्यकाल भी लगभग पूरा कर लिया। बीच-बीच में और भी आना-जाना लगा रहा। रही-सही कसर चुनाव में टिकट को लेकर पूरी हो गई। ऐसे में देखना रोचक है कि बगावत करने वालों के साथ इस चुनाव में जनता ने क्या किया बहुमत परीक्षण में बागी बन सत्ता के साथ आए थे, फिर जीते बहुमत परीक्षण में भाजपा के साथ आईं मोहनिया (सुरक्षित) सीट की विधायक संगीता कुमारी इस बार एनडीए समर्थित भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी के रूप में उतरीं तो 18752 मतों से जीत दर्ज करने में कामयाब रहीं। मोकामा की नीलम देवी बहुमत परीक्षण में जदयू के साथ आई थीं। उनके पति अनंत सिंह इस बार चुनाव में उतरे और जेल जाने के बावजूद 28206 वोटों से जीते। पटना की बिक्रम विधानसभा के सिद्धार्थ सौरव कांग्रेस छोड़ बहुमत परीक्षण में आए तो इस बार उसी सीट से भाजपा के टिकट पर 5601 मतों से जीतने में कामयाब रहे। शिवहर से राजद के टिकट पर जीते चेतन आनंद बहुमत परीक्षण के दौरान जदयू के साथ गए थे। इस बार औरंगाबाद के नबीनगर से टिकट मिला तो परेशान रहे, लेकिन अंतिम तौर पर एनडीए के तूफान में 112 मतों से जीतने में कामयाब रहे। बहुमत परीक्षण के बाद राजद छोड़ भाजपा में आए भभुआ के भरत बिंद को लोजपा-आर का टिकट मिला। उन्होंने 24415 मतों से जीत हासिल की। बहुमत परीक्षण में कांग्रेस छोड़ सरकार के साथ आए मुरारी प्रसाद गौतम को उनकी सीट चेनारी से लोजपा-आर का टिकट मिला। गौतम ने 21988 मतों से जीत हासिल की। प्रह्लाद को बगावत के बाद दर्द, मिश्री लाल कहीं के नहीं रहे पिछले चुनाव में जीतने के बाद वीआईपी से भाजपा में आए अलीनगर के मिश्री लाल यादव टिकट बंटवारे के समय राजद से करीब नजर आए थे। अलीनगर से मैथिली भाजपा प्रत्याशी बनीं, जीतीं। मिश्री लाल न भाजपा में सक्रिय रहे और न राजद ने टिकट दिया। बेटे धीरज कुमार ने केवटी से निर्दलीय किस्मत आजमाई, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। बहुमत परीक्षण में सरकार के साथ आए सूर्यगढ़ा के तत्कालीन विधायक प्रह्लाद यादव सबकुछ संभालने वाले जवान बेटे की मौत के सदमे से उबर नहीं सके। टिकट की भागदौड़ में नहीं गए, तो सत्ता पक्ष ने इन्हें किनारे ही छोड़ दिया। विपक्ष ने भी उम्मीद की लौ नहीं दिखाई। लोजपा छोड़ जदयू में आने की सजा भुगती राजकुमार ने पिछले चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी ने जनता दल यूनाईटेड के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी थी। तब लोजपा से इकलौते विधायक बने थे राजकुमार सिंह। बेगूसराय की मटिहानी सीट से जीतकर विधानसभा आए तो जनता दल यूनाईटेड में जा मिले। इस बार जदयू ने उन्हें उस बगावत का फल टिकट के रूप में तो दिया, लेकिन कहा जा रहा है कि लोजपा समर्थकों ने उन्हें इस बार वहां सबक सिखा दिया। मटिहानी में इस बार उन्हें राष्ट्रीय जनता दल के नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह ने 5290 वोटों से हराया। पीएम के साथ मंच पर दिखे राजद विधायकों को क्या मिला सत्ता से नवादा की विभा देवी राजद से जीती थीं, लेकिन चुनाव से पहले पीएम के साथ मंच पर नजर आईं। इस बार जनता दल यूनाईटेड ने टिकट दिया और राजद प्रत्याशी कौशल यादव को 27594 मतों से हराने में कामयाब रहीं। पिछली बार रजौली के राजद के टिकट पर जीते प्रकाश वीर पीएम के साथ मंच पर नजर आए थे, लेकिन उन्हें एनडीए ने मौका नहीं दिया। उन्होंने तेज प्रताप की पार्टी के टिकट पर रजौली से चुनाव लड़ा, लेकिन 87416 मतों से हार के साथ पांचवें नंबर पर रहे।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 15, 2025, 08:44 IST
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