बात-बात पर गाली दे रहे बच्चे: किशोर वर्ग के शब्दकोश से आहत हैं CBSE के जिम्मेदार, अभिभावकों से की मार्मिक अपील

सीबीएसई बोर्ड के उच्च संस्थानों में अध्ययनरत तमाम संपन्न परिवारों के किशोरों में बोलचाल की शैली और उनके व्यवहार में आ रहे परिवर्तन को लेकर बोर्ड के जिम्मेदारों ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने न केवल पत्र भेजकर अभिभावकों को पाल्यों के व्यवहार को परखने की अपील की है बल्कि भाषा के प्रयोग और ऑनलाइन माध्यमों से देखे जा रहे कंटेंट पर निगरानी के सुझाव भी दिए हैं। हरिद्वार में प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान डीपीएस में सात हजार से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं। स्कूल के प्रधानाचार्य व सीबीएससी बोर्ड के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. अनुपम जग्गा की ओर से प्रेषित अभिभावकों को पत्र में छात्र-छात्राओं के बदलते व्यवहार का उल्लेख किया गया है। इसमें सबसे चिंताजनक भाषा के स्तर पर आई गिरावट पर चिंता व्यक्त की है। डॉ. अनुपम जग्गा ने हाल ही में आईआईटी छात्रों के परामर्श सत्र का उल्लेख किया है। उनका कहना है कि आईआईटी के छात्रों ने माना कि उनकी सफलता के पीछे अनुशासन और प्रतिदिन 6 से 8 घंटे का स्वाध्याय है। यह भी माना कि पुस्तक, समाचार पत्र और पत्रिकाओं को वह समय देते हैं जो ऑनलाइन में जा रहा है। बीते एक दशक में बढ़ी गाली के साथ बात करने की शैली डॉ. अनुपम जग्गा का कहना है कि बीते एक दशक में छात्राें के बीच आपसी बातचीत में गाली के साथ बात करने की शैली बढ़ी है। इसमें सर्वाधिक कारक ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रदर्शित वेेब सीरीज भी कारक है। उन्होंने कहा कि ऑन कैमरा जब बच्चों के बातचीत की शैली को कुछ दिनों तक परखा गया तो इसमें गाली के साथ बात करना, साथियों को परेशान करना, अनुपयुक्त सामग्री साझा करने जैसी गतिविधियां गभीर रूप से देखी गईं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 22, 2025, 13:49 IST
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