SC Reservation: 'अनुसूचित जाति में भी लागू होना चाहिए क्रीमी लेयर', आरक्षण पर सीजेआई बीआर गवई का बड़ा बयान

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने रविवार को कहा कि वे अब भी इस विचार के पक्ष में हैं कि अनुसूचित जातियों (एससी) को मिलने वाले आरक्षण में 'क्रीमी लेयर' यानी आर्थिक-सामाजिक रूप से आगे बढ़ चुके वर्ग को बाहर किया जाना चाहिए। एक कार्यक्रम 'इंडिया एंड द लिविंग इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन ऐट 75 इयर्स' में बोलते हुए उन्होंने कहा कि एक आईएएस अफसर के बच्चे और गरीब किसान मजदूर के बच्चों को एक ही स्तर पर नहीं रखा जा सकता। उनका कहना था कि आरक्षण का लाभ उन लोगों तक पहुंचना चाहिए जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। यह भी पढ़ें - Karnataka: '100 साल में पहली बार नियमों का पालन कर रहा है RSS', मंत्री प्रियांक खरगे का संघ पर करारा हमला 'मेरी सेवानिवृत्ति में बचा है सिर्फ एक हफ्ता' सीजेआई गवई ने बताया कि उन्होंने अतीत में भी इंद्रा साहनी (मंडल आयोग) मामले के आधार पर यही राय दी थी कि जैसे ओबीसी समुदाय में क्रीमी लेयर की पहचान की जाती है, वैसे ही यह व्यवस्था एससी समुदाय के लिए भी होनी चाहिए, भले ही इस विचार की काफी आलोचना हुई हो। उन्होंने मुस्कराकर कहा कि 'न्यायाधीशों को आम तौर पर अपने फैसलों का बचाव नहीं करना चाहिए… और मेरे पास सेवानिवृत्ति तक सिर्फ एक हफ्ता ही बचा है।' महिलाओं और समानता पर बदलता भारत सीजेआई ने कहा कि देश में वर्षों के दौरान महिलाओं के अधिकारों और समानता को लेकर जागरूकता बढ़ी है, और भेदभाव की पुरानी सोच को पीछे छोड़ा जा रहा है। उन्होंने भावुक होकर याद किया कि उनके कार्यकाल का पहला कार्यक्रम महाराष्ट्र के अपने गृह नगर अमरावती में था और आख़िरी कार्यक्रम आंध्र प्रदेश के अमरावती में, मानो उनकी यात्रा एक पूरा चक्र पूरा कर रही हो। संविधान- बदलता, सांस लेता दस्तावेज सीजेआई गवई ने कहा कि भारतीय संविधान स्थिर नहीं है, बल्कि एक 'जीवंत, विकसित होने वाला' दस्तावेज है। डॉ. भीमराव आंबेडकर की सोच पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन की प्रक्रिया इसीलिए रखी गई ताकि समय के साथ जरूरतें बदलने पर देश आगे बढ़ सके। उन्होंने बताया कि आंबेडकर के भाषण, विशेषकर जब वे मसौदा संविधान प्रस्तुत कर रहे थे, हर कानून के विद्यार्थी को पढ़ने चाहिए।आंबेडकर के तीन शब्द- समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व- को उन्होंने भारत की सामाजिक-आर्थिक प्रगति की रीढ़ बताया। यह भी पढ़ें - Russia Oil Import: अक्तूबर में भारत ने रूस से तेल खरीद पर ढाई अरब यूरो खर्च किए, यूरोपीय थिंक टैंक का दावा 'संविधान ने बदली लाखों की जिंदगी - मेरा भी सफर इसका उदाहरण' मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि संविधान की वजह से ही आज भारत में दो राष्ट्रपति अनुसूचित जाति से हुए हैं और वर्तमान राष्ट्रपति एक अनुसूचित जनजाति की महिला हैं। अपनी यात्रा याद करते हुए उन्होंने कहा, 'अर्ध-झुग्गी जैसे इलाके और नगरपालिका स्कूल में पढ़ने वाला एक बच्चा भी जब देश की सर्वोच्च न्यायिक कुर्सी तक पहुंच सकता है, तो यह संविधान की ही ताकत है।'

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 16, 2025, 17:53 IST
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