Exclusive: 'मेक इन इंडिया आज ब्रांड, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए तकनीकी स्वायत्तता लक्ष्य'; बोले जोहो संस्थापक

देश की सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय सॉफ्टवेयर कंपनियों में शुमार जोहो कॉरपोरेशन के संस्थापक डॉ. श्रीधर वेम्बु का मानना है कि 'मेड इन इंडिया' आज शक्तिशाली ब्रांड है। हमें हमेशा से इस पर बहुत गर्व रहा है, तब भी जब यह लोकप्रिय नहीं था, कंपनियां हिचकिचाती थीं और लोगों को सलाह दी जाती थी कि 'मेड इन इंडिया' का इतनी प्रमुखता से प्रचार न करें। अमेरिका के टैरिफ युद्ध के बीच स्वदेशी एवं आत्मनिर्भर भारत की बयार से चर्चा में आए श्रीधर के ग्रामीण भारत के प्रति दृढ-संकल्प ने उनके तीन दशक के परिश्रम, प्रौद्योगिकी एवं उद्यमिता में देश का विश्वास जगाया है। नए देसी मैसेजिंग एप अरट्टै के जनक श्रीधर आज उत्साह से बताते हैं, हमारा बाजार वैश्विक है और जोहो का 90 फीसदी कारोबार अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों से आ रहा है। जोहो के मुख्यालय तेनकासी में अमर उजाला से खास बातचीत में श्रीधर कहते हैं, मेड इन इंडिया एक बड़ी संपत्ति है, जिसका लोहा आज दुनियाभर में माना जा रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए तकनीकी स्वायत्तता के पैरोकार श्रीधर का मानना है, अब हमारी समृद्धि प्रौद्योगिकियों पर महारत हासिल करने पर निर्भर करती है, इस लक्ष्य के लिए हमें दीर्घकालिक फोकस रखना होगा। सभी युद्ध भी अब प्रौद्योगिकी की लड़ाई हैं। मटेरियल साइंस से लेकर लेजर, ड्रोन सॉफ्टवेयर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो या जेट इंजन, पनडुब्बी प्रणालियां अथवा क्वांटम एन्क्रिप्शन की तकनीक, इन सभी में देश को व्यापक और गहरी क्षमताओं की जरूरत है। कम-से-कम 500 क्षेत्र हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन क्षेत्रों के लिए समर्पित लोग एवं वैज्ञानिकों की टीम चाहिए। इनका अधिकतर हिस्सा निजी क्षेत्र के लिए खोल देना चाहिए, सरकार की भूमिका इसमें इतनी हो कि वह कंपनियों की सालाना रैंकिंग करे, आकलन करे कि वैश्विक कंपनियों की तुलना में हम कहां खड़े हैं और ज्यादा बेहतर नतीजे कैसे हासिल कर सकते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर श्रीधर कहते हैं, इससे तकनीक की दुनिया में जैसी तेजी आई है, उससे हर उद्योग में बदलाव आएगा। हालांकि, एआई को विश्वसनीय बनाने की चुनौती है। व्यावसायिक दुनिया में एआई अपनाने के जो जोखिम हैं, उन्हें दुरुस्त करने में समय लग सकता है। अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) को तकनीक की रीढ़ बताते हुए श्रीधर कहते हैं, हर कंपनी में मजबूत रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रभाग बनाना, न सिर्फ वाणिज्यिक हित में है, बल्कि राष्ट्र हित में भी है। यह प्रतिबद्ध एवं जुनूनी टीम का काम है। मैंने सरकार को प्रस्ताव दिया है कि सीएसआर की तरह ही, आरएंडडी दायित्व भी तय करना चाहिए। अरट्टै की क्षमताएं बढ़ेंगी हमारा डाटा देश में ही रहेगा श्रीधर बताते हैं, स्वदेशी मैसेजिंग एप अरट्टै अपनी तकनीकी विशिष्टताओं के कारण लोकप्रिय हो जाएगा। वॉइस कॉलिंग, वीडियो, लो बैंडविड्थ ऑप्टिमाइजेशन, 100 करोड़ उपयोगकर्ताओं तक इसकी पहुंच, बेहद जटिल व गंभीर है, लेकिन असंभव नहीं। भारतीय भाषाओं के अनुवाद की क्षमता बढ़ाने पर भी शोध चल रहा है। खास यह है कि इसका डाटा देश में ही रहेगा। डाटा नया 'ऑयल' है, हमें इसे विदेशी कंपनियों को नहीं सौंपना चाहिए। युवा प्रतिभावानगांवों से रोकना होगा पलायन डॉ. श्रीधर कहते हैं, देश के नौजवानों की प्रतिभा बहुआयामी है, लेकिन प्राथमिक चुनौती नौकरियां और रोजगार हैं। इसके लिए क्षमता एवं कौशल विकसित करने की जरूरत है। मेरा मानना है कि केवल निजी क्षेत्र ही इस काम को बेहतर तरीके से कर सकता है। रिसर्च एंड डेवलपमेंट की तरह ही, कौशल विकास में निजी क्षेत्र को निवेश करना होगा। इससे गांवों से पलायन भी रुकेगा। अपने गांव या आसपास बेहतर अवसर मिलेंगे, तो नौजवान बाहर क्यों जाएंगे। उत्तर प्रदेश में खुलेगा जोहो केंद्र डॉ. श्रीधर बताते हैं कि ग्रामीण विकास एवं शिक्षा का जोहो मॉडल हम देश के अन्य हिस्सों में भी ले जाना चाहते हैं। फिलहाल उत्तर प्रदेश में बलिया के करनई गांव में स्कूल को मदद कर रहे हैं। सॉफ्टवेयर और मैन्युफैक्चरिंग में निवेश पर भी काम हो रहा है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 13, 2025, 06:07 IST
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