कानों देखी: विदेश नीति में बदलाव से लेकर कांस्टीट्यूशन क्लब चुनाव और यूपी की सियासत तक, जानें कहां-क्या चल रहा
चीन के एनएसए और विदेश मंत्री वांग यी भारत आए थे। इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीन और एनएसए अजीत डोभाल रूस गए थे। मॉस्को ने भारत से आरआईसी (रूस-इंडिया-चीन) और ब्रिक्स ( भारत-ब्राजील, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका) पर विशेष ध्यान देने की अपील की थी। बताते हैं कि इस अवसर को लाने में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा योगदान रहा। ट्रंप जिन्हें अमेरिका का राष्ट्रपति बनवाने के लिए भारतीयों ने हवन तक किया था। दुआ तक मांगी थी। हालांकि, वाणिज्य मंत्रालय अभी भी अमेरिका को नाराज रखने के पक्ष में नहीं है। वाणिज्य मंत्रालय की चिंता बस एक है। चीन के साथ सहयोग से भारत की उर्वरक, रेअर अर्थ, औद्योगिक विकास और कच्चा सामान समेत कई समस्या खत्म हो जाएगी, लेकिन भारत तकनीक कहां से लाएगा विदेश और रक्षा मंत्रालय के रणनीतिकार भी बदल रहे जिओ पालिटिकल समीकरण में चुपचाप सब देख रहे हैं। राजीव प्रताप रूढ़ी का बढ़ा कद राजीव प्रताप रूढ़ी का कांस्टीट्यूशन क्लब का चुनाव को जीतने का फैसला 13 अगस्त को आया था। यहां जीत से रूढ़ी का कद काफी बढ़ गया है। हालांकि, उनके राजनीतिक गुरू रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस मामले में काफी संयत रहते हैं। भाजपा के कई सांसद रूढ़ी से हाथ मिलाते हैं, लेकिन वह भी आगे पीछे निगाह बनाए रखते हैं। दरअसल, रूढ़ी भाजपा के पांच बार के सांसद हैं। वरिष्ठ नेता हैं। उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर राजनीति में लेकर आए थे। एचएम धवन की भी इसमें भूमिका रही। रूढी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का पैर छूते हैं। उन्हें राजनीतिक गुरू मानते हैं। वह इस बार भी कांस्टीट्यूशन क्लब सचिव पद का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उनके पास चुनाव से हटने का संदेश भिजवाया गया। संजीव बालियान के लिए अवसर देने की बात की गई। टीम रूढ़ी को यह हजम न हुआ। रूढ़ी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया तो बालियान के समर्थन में रूढ़ी के पुराने करीबी निशिकांत दुबे उतर गए। बालियान ने घर-घर प्रचार किया। रूढ़ी ने दल-दल संपर्क साधा। सोनिया, राहुल, सब। उत्तर प्रदेश के एक कद्दावर भाजपा नेता ने भी उन्हें कुछ सीख दी। चुनाव के दिन रूढ़ी का गरूर तोड़ने के लिए वह मतदान में हिस्सा लेने आ गए, जिसके बारे में किसी ने सोचा ही न था। कहां दावा था कि रूढ़ी 150 मतों से हारेंगे और कहां 100 से जीत गए। चुनावी नतीजों के एलान के बाद एक दिन राहुल गांधी संसद भवन परिसर में थे। उन्हें राजीव प्रताप रूढ़ी दिखाई दिए। कांग्रेस नेता उधर बढ़े और रूढ़ी से हाथ मिलाया। रूढ़ी राहुल की बधाई स्वीकार भी किए, लेकिन उनका संकोच भी चेहरे पर साफ झलक रहा था। बदले-बदले नजर आ रहे शाह के तेवर संसद भवन के गलियारे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के तेवर अब कुछ बदले-बदले से नजर आते हैं। इन दिनों गृहमंत्री जब अपने कक्ष से निकलते हैं तो अंदाज में नरमी ज्यादा दिखाई देती है। हालांकि, उनसे मिलने के लिए आने वालों की सूची लगातार लंबी रहती है। जेपी नड्डा, पीयुष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान समेत तमाम मंत्रियों को गृह मंत्री के एक इशारे का इंतजार रहता है। इधर उ.प्र. के भाजपा नेता भी बड़ी संख्या में के उनसे मिलना चाहते हैं। उन्हें यह जानने की बेताबी है कि उनके राज्य में भाजपा का नया अध्यक्ष कौन होगा दूसरी तरफ भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं की दुविधा पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर लगातार बढ़ रही है। बड़े समय से जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी को लेकर कयास लग रहे हैं। अब भाजपा के नेता ही कहने लगे हैं कि आरएसएस और भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं में सहमति अटकी है। प्रयागराज के संघ के एक नेता कहते हैं कि व्यक्ति कभी संगठन से बड़ा नहीं होता। व्यक्ति की पूजा व्यक्तिवाद पैदा करती है और संघ इस तरह के व्यक्तिवाद को कम पसंद करता है। बढ़ता जा रहा है मायावती का संकट 20 महीने बाद उ.प्र. में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव इस बार कोई गलती नहीं करना चाहते। उन्होंने पार्टी में पीडीए से लेकर अन्य का समीकरण बनाना शुरू कर दिया है। सुना जा रहा है कि भाजपा ने भी उ.प्र. में खास नगाह गड़ा रखी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी टीम के नेता राजनीतिक गोट सेट कर रहे हैं। राज्य के 40 ठाकुर विधायकों का मिलन भी एक खास नजर से देखा जा रहा है, लेकिन एक बड़े जनाधार पर काबिज मायावती की बहुजन समाज पार्टी का संशय खत्म नहीं हो रहा है। मायावती के भतीजे आकाश के तेवर भी अब पहले वाले नहीं रहे। हालांकि बसपा अपनी जमीनी स्तर की तमाम समितियों के जरिए ग्रास रूट लेवेल पर संपर्क बनाने में जुटी है, लेकिन बसपा को खास सफलता दिलाने वाले उ.प्र. के जिलों से अच्छी रिपोर्ट नहीं आ रही है। यहां तक कि टिकट मांगने वालों की लाइन छोटी होने से भी मायावती और उनकी पार्टी के लोग चिंतित नजर आ रहे हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 22, 2025, 09:42 IST
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