कहां से और कैसे चुने जाएंगे उपराष्ट्रपति पद के दावेदार?
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद नए उपराष्ट्रपति के लिए नामों पर मंथन शुरू हो गया है। उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा का नया उम्मीदवार पार्टी के कोर काडर या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि का हो सकता है। पार्टी के अंदर इस बात पर चर्चा है कि अति महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति केवल मूल विचारधारा से जुड़े लोगों की ही की जाए। दूसरे दलों से आए कई नेताओं ने केंद्र सरकार और भाजपा के लिए असहज स्थिति पैदा कर चुके हैं। ऐसे में अब पार्टी महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति करते समय पार्टी की कोर विचारधारा से जुड़े लोगों के नामों पर ही विचार कर सकती है। प्रधानमंत्री के विदेश यात्रा से लौटने के बाद उनकी सहमति से इस पर अंतिम नाम पर मुहर लग सकती है। भाजपा ने हाल में चुनाव जीतने वाले राज्यों में जिस पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों पर अंतिम मुहर लगाई है, उसे देखते हुए भी कहा जा सकता है कि पार्टी अब अहम जिम्मेदारियों के लिए केवल मूल विचारधारा से जुड़े नेताओं को ही प्राथमिकता देगी। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता अपने छात्र जीवन से एबीवीपी से जुड़ी रही हैं। वे पार्षद होने के साथ-साथ संघ के कार्यों से भी जुड़ी रही हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी छात्र जीवन से एबीवीपी से जुड़े रहे हैं और कई अहम जिम्मेदारियों को संभाल चुके हैं। भाजपा नेताओं के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। महत्त्वपूर्ण विधेयकों को राज्यसभा से पारित कराने में उसकी भूमिका अहम होती है। ऐसे में इस पद पर पार्टी के मूल विचारधारा से जुड़े वरिष्ठ और अनुभवी नेता के नाम पर विचार किया जा सकता है। पार्टी में इस समय कई ऐसे नेता हैं जो इस समीकरण पर फिट बैठ सकते हैं। बिहार और पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए इन राज्यों से भी नया उपराष्ट्रपति लाए जाने पर विचार किया जा सकता है। दक्षिण के राज्यों से यह मांग उठने लगी है कि अब नया उपराष्ट्रपति दक्षिण भारत से बनाया जाए। इसी तरह सहयोगी दलों की मांग भी हो सकती है कि सत्ता संतुलन बनाए रखने में उनके नेताओं के नामों पर भी विचार किया जाए। हरिवंश पहले ही जदयू के कोटे से उपसभापति बनकर राज्यसभा का कामकाज देख रहे हैं। माना जा रहा है कि टीडीपी अपना महत्त्व बढ़ाने के लिए एनडीए के अंदर इस पद पर अपना दावा ठोंक सकती है। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के प्रकरण में पार्टी को चालू संसद सत्र में ही असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है। जगदीप धनखड़ भाजपा में शामिल होने से पहले कांग्रेस और जनता दल में रह चुके थे। इसके पहले जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने भी आपत्तिजनक बयानबाजी कर केंद्र सरकार को असहज करने का काम किया था। वे भी कांग्रेस, जनता दल, लोक दल, समाजवादी पार्टी और भारतीय क्रांति दल में रह चुके थे। जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी भी कई बार अपनी बयानबाजी से सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी कर चुके हैं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा, 'मैं स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए और डॉक्टरों की सलाह का पालन करते हुए भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं। यह इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार है। मैं भारत की माननीय राष्ट्रपति को हार्दिक धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान मुझे लगातार सहयोग और एक शांतिपूर्ण कार्य संबंध प्रदान किया। यह मेरे लिए बेहद सुखद अनुभव रहा।' भारत के उपराष्ट्रपति के एक्स हैंडल से धनखड़ की तस्वीर को हटा दिया गया है। देश के इतिहास में यह दूसरा मामला है, जब किसी उपराष्ट्रपति ने अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले उस पद से इस्तीफा दिया है। इससे पहले वीवी गिरि ने 20 जुलाई, 1969 को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Jul 24, 2025, 16:50 IST
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