Kangra News: गुरुनानक देव ने विदेशी सत्ता को दी थी पहली चुनौतीः प्रो. अग्निहोत्री
धर्मशाला। मध्यकाल में भक्ति आंदोलन से जुड़े कई साधु-संतों एवं महापुरुषों ने विदेशी आक्रांताओं की सत्ता से मुक्ति के लिए आशा की किरण दिखाई है, लेकिन दश गुरु परंपरा के प्रथम गुरु नानक देव जी पहले ऐसे संत थे, जिन्होंने विदेशी सत्ता को पहली और मजबूत चुनौती दी थी। यह बात हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने सप्त सिंधु फाउंडेशन न्यास की ओर से प्रो. देवेंद्र कौशिक की स्मृति में आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान में कही।प्रो. अग्निहोत्री ने कहा कि मध्यकाल में बहुत से संतों ने समाज जागरण का कार्य किया लेकिन किसी ने भी अपने जीवित रहते अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया। गुरु नानक देव जी पहले ऐसे संत थे, जिन्होंने अपनी सांसारिक यात्रा पूरी करने से पहले ही गुरु अंगद देव जी का उत्तराधिकारी के रूप में चयन कर लिया था। उन्हें सात वर्षों तक अपने आश्रम में गुरु परंपरा की जिम्मेदारियों के कुशल निर्वहन के लिए प्रशिक्षित भी किया। प्रो. अग्निहोत्री ने कहा कि दश गुरु परंपरा के दशम गुरु गोबिंद सिंह जी काे विश्वास था कि बिना ज्ञान साधना के सांस्कृतिक पुनर्जागरण संभव नहीं है। संस्कृत का अध्ययन किए बिना उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो सकती थी। इसी उद्देश्य से गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना से भी पहले देवभूमि हिमाचल में निर्मला पंथ की स्थापना की थी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: May 31, 2025, 16:31 IST
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