Moradabad News: पीतलनगरी के हस्तशिल्प को डिजाइन सेंटर की दरकार
मुरादाबाद। साल में तीन बार लगने वाले निर्यात मेलों में निर्यातकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती नए डिजाइन की होती है। मेले में आने वाले ग्राहकों का सवाल होता है कि नया क्या है, इसका जवाब निर्यातक नहीं दे पाते। प्रदेश के हस्तशिल्प निर्यात में 50 फीसदी हिस्सेदारी होने के बावजूद मुरादाबाद के तमाम निर्यातक डिजाइन सेंटर की कमी से जूझ रहे हैं। इसका निर्यात पर भी प्रभाव पड़ता है। इसलिए पीतलनगरी को खुद के डिजाइन सेंटर की दरकार है। डिजाइन सेंटर का मुद्दा उद्योग बंधु की बैठक में कई बार उठाया जा चुका है। डीसी हैंडीक्राफ्ट और वस्त्र मंत्रालय तक भी आवाज पहुंचाई जा चुकी है, लेकिन बात अनसुनी रही। मुरादाबाद में दो हजार से ज्यादा निर्यात इकाइयां हैं। बड़े निर्यातक तो अपनी फैक्टरी में अच्छे डिजाइनर नियुक्त कर लेते हैं, लेकिन छोटे व मंझले कारोबारियों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। पीतल, तांबे और चांदी के बर्तनों के लिए प्रसिद्ध मुरादाबाद को अब वैश्विक बाजार में नए डिजाइनों व समय के अनुकूल उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ डिजाइन, गुणवत्ता और बाजार में पहुंच बनाने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए आधुनिक डिजाइन पद्धतियों, अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाना जरूरी हो गया है। निर्यातकों का मानना है कि विदेशी ग्राहक ऐसे उत्पादों की तलाश कर रहे हैं जो पारंपरिक शिल्पकला को आधुनिक डिजाइन के साथ मिलाते हों। मुरादाबादी निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी बाजार में अलग दिखने के लिए अपने उत्पादों का डिजाइन बेहतर बनाना ही होगा। ईपीसीएच, यस, एमएचईए से जुड़े निर्यातक कहते हैं कि शहर में न सिर्फ डिजाइन सेंटर बनाने की जरूरत है, बल्कि पारंपरिक तकनीकों और आधुनिक डिजाइन पद्धतियों में कारीगरों को प्रशिक्षित भी करना होगा।------------मुरादाबाद में इसलिए जरूरी है डिजाइन सेंटर छोटे निर्यातकों के लिए अच्छे डिजाइनर रख पाना बहुत मुश्किल है। अच्छी डिजाइनिंग में संसाधन ज्यादा खर्च होते हैं। ऐसे में यदि मुरादाबाद में डिजाइन सेंटर बनेगा तो सभी निर्यातकों को उसका लाभ मिलेगा। बशर्ते यहां डिजाइन के क्षेत्र में पारंगत कर्मचारियों की नियुक्ति हो और अत्याधुनिक मशीनें लगाई जाएं। जरूरत को समझते हुए धातु हस्तशिल्प सेवा केंद्र की ओर से वस्त्र मंत्रालय को डिजाइन सेंटर बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें डिजाइन स्टूडियो, टेक्नोलॉजी लैब, कंप्यूटर एडेड डिजाइन एप्लीकेशन, 3-डी स्कैनर व प्रिटिंग, सीएनसी मशीन, लेजर कटिंग व एंग्रेविंग की मांग की गई है। -----------यह बोले निर्यातक (फोटो) डिजाइन के बिना कोई उत्पाद बनाने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। प्रतिस्पर्धा में बने रहने और आगे बढ़ने के लिए डिजाइन सेंटर मुरादाबाद के निर्यातकों की जरूरत है। मैं इस मुद्दे को जिला प्रशासन व वस्त्र मंत्रालय के सामने रख चुका हूं। - जेपी सिंह, चेयरमैन यस ------नए डिजाइन बनाने के लिए दूरदर्शी सोच वाले कुशल स्टाफ की जरूरत पड़ती है। जो उत्पाद हमें छह महीने बाद प्रदर्शित करना है, उसके डिजाइन के लिए आज काम करना पड़ता है। इसलिए यह प्रक्रिया महंगी है और सभी कारोबारी वहन नहीं कर पाते। मुरादाबाद में डिजाइन सेंटर बनने से सबको फायदा होगा। - अभिजीत मित्तल, निर्यातक अभी तक कुछ कारोबारी अपने स्तर से डिजाइनर हायर करते हैं या खुद ही डिजाइन पर काम करते हैं। बाजार में उत्पाद पहुंचने पर अच्छे डिजाइन में अंतर साफ दिखाई देता है। लंबे समय से यहां डिजाइन सेंटर की मांग उठ रही है। - नवेद उर रहमान, अध्यक्ष एमएचईए यदि एमएचएससी में डिजाइन सेंटर बनेगा तो मुरादाबाद के निर्यातकों के लिए बड़ा तोहफा होगा। यहां के हस्तशिल्प कारोबार को इसकी जरूरत है। हमारे पास कुशल कारीगर हैं, यदि अच्छा डिजाइन मिलेगा तो हम और आगे बढ़ेंगे। - रोहित ढल, निर्यातक
- Source: www.amarujala.com
- Published: May 07, 2025, 03:16 IST
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