Jammu News: 20 साल बाद फिर करंट चिकित्सा पद्धति से मनोरोगियों के इलाज की तैयारी

- साइकिएट्री अस्पताल जम्मू में जल्द मिलेगी ईसीटी सुविधा, एनेस्थीसिया के साथ दी जाएगी थेरेपी- डिप्रेशन, केटेटोनिया व साइकोटिक गंभीर मानसिक रोगियों को मिलेगी तत्काल राहत अमर उजाला ब्यूरोजम्मू। साइकिएट्री अस्पताल जम्मू में 20 साल बाद फिर से करंट चिकित्सा पद्धति (ईसीटी) शुरू करने की तैयारी है। इस सुविधा के शुरू होने से आत्महत्या प्रेरित, केटेटोनिया व साइकोटिक आदि गंभीर मानसिक रोगियों को राहत मिलेगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इसे एक-दो हफ्तों में शुरू कर दिया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब एनेस्थीसिया विभाग के सहयोग से मरीज को ईसीटी दी जाएगी। साइकिएट्री अस्पताल में 2003-04 तक ईसीटी की सुविधा उपलब्ध थी। लेकिन, यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में चले जाने के बाद से सुविधा ठप रही। बाद में न्यायालय ने मरीजों के इलाज के लिए ईसीटी को एनेस्थीसिया विभाग के सहयोग से करने को कहा। ईसीटी सुविधा के लिए अस्पताल में एक थियेटर नुमा कक्ष तैयार किया गया है। इसमें नई मशीन स्थापित की गई है। गंभीर अवसाद, कैटेटोनिया, उन्माद और सिजोफ़्रेनिया के कुछ रूप, स्किजोफेक्टिव डिसऑर्डर, साइकोटिक जैसे मरीजों के लिए ईसीटी की थेरेपी उपयुक्त होती है। साइकिएट्री अस्पताल जम्मू में कार्यरत मनोचिकित्सक डाॅ. राकेश बनाल ने बताया कि अधिक डिप्रेशन वाले मामलों में कई मरीजों में आत्महत्या की प्रवृति बढ़ जाती है। मानसिक रोगियों पर कम से कम दो सप्ताह बाद दवाएं असर करने लगी हैं। ऐसे में इस प्रवृति को खत्म करने के लिए ईसीटी थेरेपी कारगर होती है। इसमें मरीज के व्यवहार में तुरंत बदलाव आता है। इसी तरह केटाटोनिया श्रेणी में मरीज खाना पीना बंद कर देता है। शरीर में सक्रियता नहीं रहती और वह अकड़ जाता है। उस पर साइकिएट्री दवाएं काम नहीं करती हैं। जिस पर ईसीटी से उसे जल्द राहत मिलती है। अन्य मानसिक बीमारी साइकोटिक डिसऑर्डर में मरीज की वास्तविकता की धारणा प्रभावित होती है। उसमें भ्रम और अव्यवस्थित सोच जैसी समस्याएं आती हैं। इसमें भी मरीज के लिए ईसीटी को वैकल्पिक चिकित्सा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।----यह है इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपीअक्सर पुरानी फिल्मों में देखा है कि सजा के तौर पर लोगों के दिमाग में बिजली के तार लगाकर करंट के झटके दिए जाते थे। साइकिएट्री चिकित्सा में वास्तविक में इसे इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (ईसीटी) कहते है। इसमें मरीज को सामान्य करंट के झटके देकर देकर उसके व्यवहार में तत्काल बदलाव लाकर राहत दी जाती है। डाक्टरों के अनुसार मरीजों के लिए यह थेरेपी पूरी तरह से सुरक्षित है। -----अस्पताल की ओपीडी में 40 प्रतिशत मरीज डिप्रेशन केसाइकिएट्री अस्पताल जम्मू की सामान्य औसतन 300 तक की ओपीडी में 35 से 40 प्रतिशत तक मामले डिप्रेशन के होते हैं। इसी तरह केटाटोनिया, साइकोटिक आदि के मरीज भी पहुंचते हैं। पिछले करीब दो दशक से ईसीटी सुविधा नहीं होने से मरीजों को थेरेपी चिकित्सा लाभ नहीं मिल रहा था। जम्मू संभाग के दस जिलों के लिए यह नई एकमात्र ईसीटी मशीन होगी। -----एक मिनट तक दी जाती है थेरेपी ईसीटी चिकित्सा प्रक्रिया का अधिकांश मानसिक बीमारियों के इलाज में की जाती है। यह एक सुरक्षित, प्रभावी और दर्द रहित थेरेपी है। ईसीटी से पहले मरीज को सामान्य एनेस्थेटिक दिया जाता है। सिर पर खास जगहों पर छोटे इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं। इलेक्ट्रोड के जरिए मस्तिष्क में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है। इससे मस्तिष्क में दौरा पड़ता है। यह दौरा अगर अधिकतम 40 सेकंड तक रहेगा तो ईसीटी देना बंद कर दी जाती है। यह पूरी थेरेपी अधिकतम 1 मिनट की होती है। -----------मानसिक रोगियों के लिए कारगर होगी ईसीटी-डाॅ. मनोज साइकिएट्री अस्पताल जम्मू के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. मनोज चलोत्रा का कहना है कि हम ईसीटी सुविधा अगले एक दो हफ्ते में शुरू कर रहे हैं। यह मानसिक रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। कश्मीर के अस्पतालों में ऐसी चिकित्सा सुविधा पहले से उपलब्ध है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Feb 27, 2025, 02:20 IST
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