पड़ताल: युवाओं में क्यों बढ़ रहा है कैंसर, स्वस्थ जीवनशैली में निहित है निदान
दस वर्ष पहले किडनी ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. किमरीन रैथमेल ने अजीब प्रवृत्ति देखी कि उनके पास किडनी कैंसर से पीड़ित कई युवा मरीज आ रहे थे। उस वक्त उन्होंने सोचा कि ये मामले उनके जैसे बड़े कैंसर अस्पताल में भेजे गए होंगे, लेकिन इस साल वसंत में जब नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (एनसीआई) के शोधकर्ताओं ने 2010 से 2019 के बीच की रिपोर्ट प्रकाशित की, तो उसमें दिखाया गया कि अमेरिका में 50 वर्ष से कम उम्र के एक हजार लोगों में से 14 में कैंसर के मामले पाए गए। एनसीआई की पूर्व निदेशक रह चुकीं डॉ. रैथमेल ने कहा, तब मुझे एहसास हुआ कि ऐसी प्रवृत्ति हर जगह होगी। दशकों तक कैंसर पर किए गए अध्ययन के बाद ये आंकड़े मुझे कैंसर के बारे में अलग तरह से सोचने पर मजबूर करते हैं। वर्षों से प्रारंभिक कैंसर की बढ़ती दरों का उल्लेख हो रहा है, जिन्हें आम तौर पर 50 वर्ष से कम उम्र के वयस्कों में होने वाला कैंसर कहा जाता है। लेकिन देश और काल के साथ-साथ स्तन, कोलोरेक्टल, किडनी, अग्नाशय, पेट, वृषण और गर्भाशय के कैंसर सहित एक दर्जन से अधिक प्रकार के कैंसरों में इस प्रवृत्ति की व्यापकता स्पष्ट हो रही है। शुरुआती उम्र में होने वाले कैंसर अब भी दुर्लभ हैं, लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि 1990 के बाद वैश्विक स्तर पर इसमें वृद्धि हुई है और हर साल हजारों नए मामले सामने आ रहे हैं। इसलिए, वैज्ञानिक यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि कैंसर इतनी तेज गति से क्यों बढ़ रहा है। कैंसर शोधकर्ताओं का मानना है कि 1950 के दशक से जीवनशैली में ऐतिहासिक बदलाव शुरू हुआ। पचास के दशक या उसके आसपास पैदा हुए लोगों में 1990 के दशक में कैंसर के शुरुआती दौर की दर ज्यादा देखी जाने लगी। हर दशक के हिसाब से खतरा बढ़ता गया। उदाहरण के लिए, 1990 में पैदा हुए लोगों में 1955 में पैदा हुए लोगों की तुलना में कुछ कैंसर का जोखिम दो से तीन गुना ज्यादा होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बताता है कि हाल के दशकों में पर्यावरणीय और जीवनशैली संबंधी जोखिम शुरुआती दौर के कैंसर में वृद्धि का कारण हो सकते हैं। बोस्टन के ब्रिघम एंड विमेंस हॉस्पिटल में मॉलिक्यूलर पैथोलॉजिकल एपिडेमियोलॉजी की प्रमुख डॉ. शुजी ओगिनो कहती हैं कि उच्च आय वाले देशों में पर्यावरण तथा दैनिक जीवन में बहुत बदलाव आया है। हम शारीरिक रूप से कम सक्रिय हैं। हम ज्यादा प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और चीनी का सेवन करते हैं। हमें हर जगह प्लास्टिक एवं रसायनों का सामना करना पड़ता है। कुछ आंकड़ों के अनुसार, हम पर्याप्त नींद भी नहीं ले रहे। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के कैंसर सेंटर में सर्जरी की एसोसिएट प्रोफेसर और प्रारंभिक कोलोरेक्टल कैंसर पर एक वैश्विक अध्ययन की प्रमुख डॉ. यिन काओ का कहना है कि उक्त कारक का प्रारंभिक कैंसर से कुछ न कुछ संबंध हो सकता है, लेकिन इनमें से कौन-सा कारक जिम्मेदार है, फिलहाल कहना जल्दबाजी होगी। उनके अनुसार, कैंसर के नए कारकों की पहचान करना वाकई चुनौतीपूर्ण है। जैसे कि धू्म्रपान से होने वाले फेफड़ों के कैंसर को साबित करने में लंबा समय तथा ढेर सारे सबूत लगे। फिर भी, मोटापा, शराब का सेवन और खराब आहार को प्रारंभिक कैंसर से जोड़ने वाले साक्ष्य काफी मजबूत हैं। शराब डीएनए को क्षति पहुंचा सकती है और महिलाओं के हार्मोन एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ा सकती है, जो कुछ प्रकार के स्तन कैंसर को बढ़ावा देते हैं। शोध बताते हैं कि शराब पीने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। लगभग 1.5 करोड़ अमेरिकी कैंसर मामलों की समीक्षा में पाया गया कि 1995 और 2014 के बीच मोटापे से संबंधित 12 में से छह कैंसर की घटनाएं युवा वयस्कों में बढ़ीं, तथा उत्तरोत्तर युवा पीढ़ी में यह वृद्धि अधिक तीव्र रही। कोलोरेक्टल कैंसर, शुरुआती कैंसर के सबसे आम प्रकारों में से एक है। डॉ. काओ और उनके सहयोगियों ने 20 वर्षों में 85,000 महिला नर्सों के आंकड़ों का अध्ययन करने पर पाया कि मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में शुरुआती कोलोरेक्टल कैंसर होने की आशंका स्वस्थ वजन वाली महिलाओं की तुलना में लगभग दोगुनी थी। अध्ययनों में यह भी पाया गया कि पश्चिमी आहार भी प्रारंभिक कोलोरेक्टल कैंसर के लिए जिम्मेदार है, जिसमें आमतौर पर फलों और सब्जियों की मात्रा कम होती है तथा लाल एवं प्रसंस्कृत मांस, शर्करा युक्त पेय व अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की मात्रा अधिक होती है। प्रजनन संबंधी बदलाव स्तन कैंसर के लिए महत्वपूर्ण हैं। महिलाएं प्रारंभिक अवस्था में होने वाले कैंसर से असमान रूप से प्रभावित होती हैं, क्योंकि स्तन कैंसर इसके सबसे आम प्रकारों में से एक है। अमेरिका में लड़कियों को अब लगभग 11 या 12 साल की उम्र में मासिक धर्म शुरू हो जाता है-1950 के दशक में जन्मी लड़कियों की तुलना में थोड़ा पहले। पहली गर्भावस्था की औसत आयु अब 27.5 वर्ष है, जो 1950 के दशक की शुरुआत में 20 वर्ष की आयु से अधिक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह लंबा अंतराल युवा वयस्कों में स्तन कैंसर की बढ़ती दर का एक कारण हो सकता है। न्यूयॉर्क स्थित कोल्ड स्प्रिंग हार्बर प्रयोगशाला की एसोसिएट प्रोफेसर कैमिला डॉस सैंटोस ने बताया कि शोध बताते हैं कि गर्भावस्था तथा स्तनपान के दौरान स्तन में प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है, जो संभावित कैंसरकारी कोशिकाओं से सुरक्षा प्रदान करती है। लेकिन सामाजिक बदलावों के कारण पहली गर्भावस्था देर से होने और कम बच्चे होने के कारण महिलाओं को इस प्राकृतिक प्रक्रिया के नुकसान लंबे समय तक झेलने पड़ते हैं, और उन्हें सुरक्षात्मक लाभ कम मिलते हैं। डॉ. कोल्डिट्ज ने कहा कि 20 वर्ष की आयु में होने वाली डीएनए क्षति विशेष रूप से खतरनाक होती है, क्योंकि आपके पूरे जीवन में कैंसर का खतरा शीर्ष पर होता है। डॉ. शुजी ओगिनो कहती हैं कि स्वस्थ लोगों, यहां तक कि शिशुओं के जीनोम में भी, कैंसर पैदा करने वाले जीन में उत्परिवर्तन होते हैं। लेकिन, ट्यूमर विकसित होने में दशकों लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा अवसर है। जीवनशैली में बदलाव करके (जैसे धूम्रपान छोड़ना, शराब का सेवन सीमित करना और स्वस्थ वजन बनाए रखना) कैंसर के खतरे को लगभग 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। ©The New York Times 2025
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 07, 2025, 04:46 IST
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