जल संरक्षण का अनूठा उत्सव: देश में पहली बार 'जल कथा' का आयोजन, संस्कृति और विज्ञान के संगम से फैलेगी जागरूकता
झांसी में जल सहेली फाउंडेशन के तत्वावधान में पहली बार 'जल कथा' का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य तालाबों और नदियों के संरक्षण को जनआंदोलन का रूप देना है। इस अनूठे आयोजन की जानकारी देने के लिए एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया, जिसमें जल संरक्षण के महत्व और इसकी आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की गई। जल सहेली मंजू लता ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि यह आयोजन पुराणों में जल के महत्व और आधुनिक विज्ञान युग में इसकी सीमित उपलब्धता को रेखांकित करेगा। जलवायु परिवर्तन और जल संकट के बीच अनूठी पहल जलवायु परिवर्तन और बढ़ते जल संकट की चुनौतियों के बीच जल सहेली फाउंडेशन तालबेहट (झांसी) स्थित ऐतिहासिक मानसरोवर झील के किनारे पांच जून से 11 जून 2025 तक साप्ताहिक 'जल कथा' का आयोजन कर रहा है। यह आयोजन जल संरक्षण, स्वच्छता, और पर्यावरणीय चेतना को जनमानस तक पहुंचाने का एक प्रयास है। इस दौरान जल कलश यात्रा, वरुण यज्ञ, सामूहिक श्रमदान, संगोष्ठियां, बाल-सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी। आयोजन की प्रमुख गतिविधियां जल कलश यात्रा: कथा के प्रारंभ में जल कलश यात्रा निकाली जाएगी, जो जल के प्रति सम्मान और जागरूकता का प्रतीक होगी। वरुण यज्ञ: जल शुद्धि और पर्यावरण संतुलन का संदेश देने के लिए वरुण यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। सामूहिक श्रमदान: मानसरोवर झील की सफाई के लिए सामूहिक श्रमदान होगा, जिससे समुदाय को जल संरक्षण के लिए प्रेरित किया जाएगा। संगोष्ठियां: विशेषज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और जल योद्धा जल संरक्षण, स्वच्छता, और जन-भागीदारी जैसे विषयों पर चर्चा करेंगे। बाल-सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनी: बच्चों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी। कथावाचन: गुजरात के प्रसिद्ध कथावाचक महेंद्र बापू जी जल, जंगल और जमीन जैसे विषयों पर कथा के माध्यम से जागरूकता फैलाएंगे। जल सहेली फाउंडेशन का दृष्टिकोण जल सहेली फाउंडेशन के संस्थापक संजय सिंह ने प्रेस वार्ता में कहा कि जल कथा एक सर्वधर्म समभाव का आयोजन है, जो धर्म, विज्ञान, और परंपरा के संगम से जल धर्म की पुनर्स्थापना का प्रयास है। उन्होंने बताया कि यह आयोजन वैदिक और पौराणिक कथाओं के माध्यम से जल के धार्मिक, पर्यावरणीय, और आर्थिक महत्व को जन-जन तक पहुंचाएगा। संजय सिंह ने जोर देकर कहा कि जल संस्कृति और अर्थव्यवस्था का आधार है, और इस आयोजन के माध्यम से जल संचेतना का विस्तार किया जाएगा। जल सहेली फाउंडेशन की अध्यक्ष मीरा ठाकुर ने बताया कि जल सहेलियां लंबे समय से बुंदेलखंड में जल संरक्षण के लिए कार्यरत हैं। उन्होंने कई गांवों में कुएं और तालाब बनाए हैं और नदियों को पुनर्जनन करने में योगदान दिया है। इस आयोजन में जल सहेली मंजू लता, राधा कुशवाहा, दीपा मजूमदार, और शिवानी सिंह सहित अन्य सहेलियां सक्रिय रूप से भाग लेंगी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Jun 02, 2025, 17:19 IST
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