भूस्खलन: एआई से 95 फीसदी से ज्यादा सटीकता के साथ पूर्वानुमान संभव, जोखिम वाले क्षेत्र की पहचान करती है प्रणाली

भूस्खलन की विभीषिका को ध्यान में रखते हुए जर्मनी के लिबनिज सेंटर फॉर एग्रीकल्चरल लैंडस्केप रिसर्च (जेडएएलएफ) के वैज्ञानिकों ने अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक नया एआई आधारित ढांचा (मॉडल) तैयार किया है। मॉडल लगभग 95.6 फीसदी सटीकता के साथ भूस्खलन की भविष्यवाणी कर सकता है। इसमें छह अलग-अलग मशीन लर्निंग एल्गोरिदम शामिल हैं जो मिलकर पूर्वानुमान की गुणवत्ता को और बेहतर बनाते हैं। इसे मौसम के पूर्वानुमान की तरह समझा जा सकता है, जहां पुराने आंकड़ों और संकेतों के आधार पर आने वाले खतरों का अनुमान लगाया जाता है। यह ढांचा मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करते हुए भूस्खलन की आशंका वाले क्षेत्रों का अत्यंत सटीक पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है। वैज्ञानिक पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित शोध के अनुसार यह प्रणाली आंकड़ों का विश्लेषण कर जोखिम वाले इलाकों को पहचानती है और उनका विस्तृत मानचित्र तैयार करती है। शोधकर्ताओं ने भारत के पश्चिम बंगाल के उप-हिमालयी क्षेत्र में इस तकनीक का परीक्षण किया। ये भी पढ़ें:पड़ोसी देशों के विकास में अहम भूमिका निभा रहा भारत; बीते 10 सालों में पेश की वसुधैव कुटुम्बकम की मिसाल इस तरह करता है काम : यह प्रणाली बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय आंकड़ों जैसे वर्षा की तीव्रता, मिट्टी की प्रकृति, इलाके की ढलान, सड़क निर्माण या पेड़ों की कटाई जैसी मानवीय गतिविधियों का विश्लेषण करती है। मॉडल अतीत में हुए भूस्खलनों और उनमें मौजूद समानताओं के आधार पर संभावित खतरों की पहचान करता है। पूर्वानुमान की प्रक्रिया तीन चरण में पूरी होती है। इसमें बेस मॉडल का प्रशिक्षण, मेटा-फीचर्स का निर्माण व मेटा क्लासिफायर का प्रशिक्षण शामिल है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 07, 2025, 04:54 IST
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