Medical: केंद्रीय प्रयोगशालाओं में 63 और राज्य लैब में 148 दवाएं गुणवत्ता में फेल, CDSCO रिपोर्ट में खुलासा

देश में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर चिंता एक बार फिर बढ़ गई है। केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं ने अक्तूबर महीने के ड्रग अलर्ट में विभिन्न कंपनियों के 63 नमूनों को मानकों पर खरा न उतरने वाला पाया है। इसके अलावा राज्यों की प्रयोगशालाओं ने भी 148 दवाओं को निकृष्ट गुणवत्ता का घोषित किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी जारी करते हुए बताया कि यह जांच नियमित निगरानी का हिस्सा है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) हर महीने अपनी पोर्टल पर निकृष्ट गुणवत्ता (NSQ) और फर्जी दवाओं की सूची जारी करता है। अक्टूबर 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय प्रयोगशालाओं ने 63 दवाओं को गुणवत्ता मानकों में विफल पाया, जबकि राज्यों की प्रयोगशालाओं ने 148 नमूनों को NSQ श्रेणी में रखा है। यह सूची बाजार में उपलब्ध दवाओं पर किए गए नियमित परीक्षण के आधार पर तैयार की जाती है। गुणवत्ता मानकों में विफलता कैसे तय होती है अधिकारियों के मुताबिक किसी दवा नमूने को निकृष्ट गुणवत्ता वाला तब माना जाता है जब वह किसी निर्दिष्ट पैरामीटर जैसे शुद्धता, शक्ति, स्थिरता या संरचना में फेल हो जाए। यह जांच बैच-वार की जाती है, यानी अगर एक बैच विफल होता है तो इसका अर्थ यह नहीं कि उसी कंपनी की सभी दवाएं या अन्य बैच भी खराब हैं। यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसके तहत केवल जांचे गए बैच की गुणवत्ता पर ही निष्कर्ष निकाला जाता है। ये भी पढ़ें-गुजरात के 'भुज' में मनेगा बीएसएफ का 61वां रेजिंग डे, केंद्रीय गृह मंत्री शाह लेंगे परेड की सलामी बिहार और दिल्ली से मिले फर्जी दवाओं के नमूने अक्टूबर महीने में गंभीर मामला फर्जी दवाओं से भी जुड़ा मिला है। बिहार से तीन और दिल्ली से दो नमूने ऐसे पाए गए हैं जो स्प्यूरियस यानी फर्जी श्रेणी में आते हैं। ये दवाएं अनधिकृत निर्माताओं द्वारा बनाई गई थीं और इनमें किसी दूसरी कंपनी के ब्रांड नाम का उपयोग किया गया था। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, ऐसे मामले न सिर्फ उपभोक्ता की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं बल्कि पब्लिक हेल्थ सिस्टम पर भी गंभीर जोखिम पैदा करते हैं। बाजार से हटाने की प्रक्रिया जारी CDSCO और राज्य औषधि नियामक इन दवाओं को बाजार से हटाने की कार्रवाई करते हैं। NSQ और फर्जी दवाओं की पहचान होने पर उन्हें तुरंत बाजार से वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाती है, ताकि मरीजों को नुकसान से बचाया जा सके। यह पूरे देश में दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए चलाए जा रहे संयुक्त अभियान का हिस्सा है। अधिकारियों ने बताया कि केंद्र और राज्य की एजेंसियां लगातार गुणवत्ता निगरानी का दायरा बढ़ा रही हैं। नियमित टेस्टिंग, सैंपलिंग और सख्त नियमों के चलते खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की पहचान ज्यादा तेज़ी से हो रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि जनता को सुरक्षित और मानक गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है, जिसके लिए हर महीने ऐसे अलर्ट जारी किए जाते हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 20, 2025, 18:52 IST
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