अध्ययन: पेड़ों में अदृश्य जीवों का संसार, बदल सकते हैं जलवायु का भविष्य

हर पेड़ के अंदर एक अदृश्य दुनिया सांस ले रही है। हर जीवित पेड़ में करीब एक लाख करोड़ सूक्ष्मजीव बसते हैं। हमें दिखाई न देने वाले ये नन्हें जीव न केवल पेड़ की जीवन-यात्रा में सह-यात्री हैं, बल्कि पृथ्वी पर कार्बन संतुलन और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों को भी प्रभावित कर सकते हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा येल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 16 प्रजातियों के 150 पेड़ों पर अध्ययन के बाद किया है। आश्चर्यजनक रूप से हर पेड़ के भीतर माइक्रोब्स की एक विशाल दुनिया बसी हुई है। ये सूक्ष्मजीव पेड़ के हार्टवुड (भीतरी भाग) और सैपवुड (बाहरी भाग) में अलग-अलग रूप से पाए गए। वैज्ञानिकों ने इन सूक्ष्मजीवों को पेड़ का सह-जीवी (सिम्बिओंट) करार दिया है। यह हमें सिखाता है कि कोई भी जीव अकेला नहीं होता, वह अपने सूक्ष्मजीव साथियों के साथ मिलकर एक सामूहिक जीवन जीता है और उनका अस्तित्व एक-दूसरे से जुड़ा होता है। इसी तरह पेड़ों के लिए भी यह सूक्ष्मजीव बेहद मायने रखते हैं। मतलब, पेड़ और सूक्ष्मजीव मिलकर एक साझा जीवन इकाई बनाते हैं। यही वजह है कि पेड़ की वृद्धि, रोग-प्रतिरोधक क्षमता और पर्यावरणीय बदलावों से निपटने की योग्यता में इनका बड़ा योगदान होता है। धरती पर पेड़-पौधे 300 गीगाटन से अधिक कार्बन को संजोकर रखते हैं। ये भी पढ़ें:Supreme Court:सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड विद्युत बोर्ड के कर्मचारियों को दी राहत, नियुक्तियां फिर से बहाल जब वे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं, तो यह पूरी प्रक्रिया काफी हद तक उनके भीतर के सूक्ष्मजीवों से प्रभावित होती है। ऐसे में वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर इन सूक्ष्मजीवों की भूमिका को बेहतर समझा जाए तो जलवायु परिवर्तन से लड़ने की नई रणनीतियां सामने आ सकती हैं। गंगा-ब्रह्मपुत्र और हिमालय के जंगल निभा सकते हैं अहम भूमका विशेषज्ञों का कहना है कि गंगा-ब्रह्मपुत्र जो दुनिया के सबसे बड़े नदी बेसिनों में से एक है, लाखों पेड़-पौधों और घने जंगलों का घर है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस क्षेत्र में बसे पेड़ों के भीतर के सूक्ष्मजीव न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं, बल्कि गंगा की बाढ़ नियंत्रण प्रणाली और जल प्रवाह चक्र को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इसी तरह हिमालयी ग्लेशियरों से जुड़े जंगल जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे संवेदनशील हैं। यहां मौजूद पेड़ों के भीतर का सूक्ष्मजीव संसार बर्फ के पिघलने की दर, मिट्टी में कार्बन के संग्रहण और पारिस्थितिकीय विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ये भी पढ़ें:BS Reddy:विपक्ष के उम्मीदवार रेड्डी आज करेंगे नामांकन, खरगे बोले- उपराष्ट्रपति चुनाव कोई प्रतियोगिता नहीं निकल सकता है जलवायु परिवर्तन का समाधान आईआईटी दिल्ली के पर्यावरण विज्ञान विभाग से जुड़े प्रो. रमेश चंद्र त्रिपाठी का कहना है,यह अध्ययन हमें दिखाता है कि पेड़ केवल कार्बन सोखने वाली मशीनें नहीं हैं बल्कि उनके भीतर एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है। भारतीय जंगलों, विशेषकर हिमालय और गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन के वनों में अगर इस प्रकार के विस्तृत शोध अध्ययन हों तो हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नए समाधान मिल सकते हैं। वहीं, आईआईएससी बेंगलुरु की शोधकर्ता डॉ. प्रीति नायर का कहना है,पेड़ों के भीतर के सूक्ष्मजीवों की समझ से हम यह जान सकते हैं कि कौन-से जीव प्रजातियां पेड़ को मजबूत बनाती हैं और कौन-सी उन्हें बीमार करती हैं। यह जानकारी वनों के प्रबंधन और संरक्षण की दिशा में एक बड़ा हथियार साबित हो सकती है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 21, 2025, 07:00 IST
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