अध्ययन: सीधे आनंद नहीं...खुशी की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है डोपामाइन
ऑनलाइन वेलनेस ट्रेंड्स में डोपामिन को लंबे समय से हैपी हार्मोन के रूप में पेश किया जाता रहा है जैसे यह खुशी को नियंत्रित करता है, डोपामिन डिटॉक्स जीवन बदल देते हैं और डोपामिन रश मानसिक स्वास्थ्य सुधार का सरल समाधान है। लेकिन नवीनतम वैज्ञानिक शोध इन दावों को भ्रांतिपूर्ण बताते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार डोपामिन सीधे अच्छा महसूस कराने वाला हार्मोन नहीं बल्कि मस्तिष्क की प्रेरणा और सीखने की प्रणाली का चालक (मोटिवेशन एंड रिवार्ड लर्निंग सिस्टम) है। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (पीएनएएस) में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार मस्तिष्क में डोपामिन का मुख्य कार्य हमें उस व्यवहार की ओर ले जाना है जो पहले किसी लाभ से जुड़ा रहा हो, यह खुशी नहीं, बल्कि इच्छा और प्रेरणा पैदा करता है। मस्तिष्क की खुशी और सुखद अनुभूति में डोपामिन नहीं बल्कि सेरोटोनिन, एंडॉर्फिन और ऑक्सीटोसिन की अधिक निर्णायक भूमिका होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार सेरोटोनिन शांत और स्थायी खुशी, एंडॉर्फिन दर्द कम कर आनंद की अनुभूति और ऑक्सीटोसिन सामाजिक जुड़ाव और भरोसा बढ़ाता है। डोपामिन इनसे अलग है। यह लक्ष्य की ओर बढ़ने और उसे हासिल करने की प्रेरणा पैदा करता है। अमेरिकी न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. माइकल जैंडर के अनुसार डोपामिन को खुशी का हार्मोन कहना गलत है। यह हमें खुशी नहीं देता। यह हमें उस चीज को खोजने के लिए प्रेरित करता है जिसे हम खुशी से जोड़ते हैं। ब्रिटिश ब्रेन रिसर्च सेंटर की डॉ. एलिस वॉकर का कहना है, डोपामिन डिटॉक्स का विचार लोकप्रिय है लेकिन तथ्यहीन। लोगों को हार्मोन नहीं, अपनी आदतों को संतुलित करने की जरूरत है। त्वरित सुख की लत है असल समस्या शोधकर्ता बताते हैं कि डोपामिन का स्तर अधिक होना हमेशा अच्छा नहीं होता। अत्यधिक डोपामिन व्यसनों, जुआ, अत्यधिक सोशल मीडिया उपयोग और जोखिमपूर्ण व्यवहार को बढ़ावा दे सकता है। वेलनेस उद्योग में प्रचलित डोपामिन डिटॉक्स का दावा है कि स्क्रीन, नींद की कमी या फास्ट फूड के कारण डोपामिन बढ़कर जीवन बिगाड़ देता है और इनसे दूरी बनाकर जीवन सुधारा जा सकता है। ये भी पढ़ें:Treatment: अब नई दवा, मशीन और इलाज की तकनीक की होगी बारीकी से परख, देश में बनेंगे रिसोर्स सेंटर आनंद प्राप्ति के लिए प्रयास और परिणाम दोनों जरूरी डोपामिन डिटॉक्स नहीं संतुलित मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि रोज जागते हुए 3-4 घंटे डिजिटल फ्री टाइम, बहुत अधिक त्वरित सुख देने वाली गतिविधियों जंक फूड, गेम्स, खरीदारी, स्क्रोलिंग की सीमा तय करें और ऐसी आदतें अपनाएं जिनमें प्रयास और परिणाम दोनों हों। इसके अलावा व्यायाम, संगीत सीखना, पढ़ाई, ध्यान, पौधे लगाना, नियमित नींद और सूर्य प्रकाश के संपर्क, काम के लक्ष्य पूरा करने से सभी हार्मोनल गतिविधियां सुचारू रहती हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 28, 2025, 02:36 IST
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