Mizoram: 'रिश्तों में दीवार नहीं चाहिए', मिजोरम सरकार ने मुक्त आवाजाही व्यवस्था खत्म करने का किया विरोध

मिजोरम के गृह मंत्री के. सपदंगा ने गुरुवार को विधानसभा में साफ कहा कि राज्य सरकार अब भी केंद्र की उस योजना का विरोध करती है, जिसमें भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ (फेंसिंग) लगाने और फ्री आवाजाही व्यवस्था को खत्म करने का प्रस्ताव है। गृह मंत्री सपदंगा ने बताया कि विधानसभा ने 28 फरवरी 2024 को एक प्रस्ताव पारित किया था और राज्य कैबिनेट ने भी उसी दिन निर्णय लिया था कि मिजोरम किसी भी कीमत पर सीमा पर बाड़ लगाने का समर्थन नहीं करेगा। इस प्रस्ताव में फ्री आवाजाही व्यवस्था को खत्म करने का भी विरोध किया गया था। यह भी पढ़ें - Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में कल दो नए न्यायाधीशों को CJI दिलाएंगे शपथ, पूरी होगी 34 जजों की संख्या केंद्र की योजना क्या है भारत-म्यांमार की सीमा 1,643 किमी लंबी है। इसमें से 510 किमी हिस्सा मिजोरम से होकर गुजरता है। केंद्र सरकार ने फरवरी 2023 में फैसला किया था कि फ्री आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म कर दिया जाए। अभी तक इस व्यवस्था के तहत सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोग 16 किमी तक बिना पासपोर्ट या वीजा के आ-जा सकते थे। केंद्र का कहना है कि इससे सुरक्षा और जनसंख्या संतुलन पर असर पड़ता है। मिजोरम को आपत्ति क्यों है केंद्र के फैसले पर मिजोरम की आपत्ति के कई अहम पहलू हैं। जिसमें तीन अहम हैं। सांस्कृतिक-जातीय रिश्ता- म्यांमार के चिन राज्य में रहने वाले लोग चिन समुदाय से हैं, जो मिजोरम के मिजो लोगों के नजदीकी रिश्तेदार माने जाते हैं। उनका इतिहास, संस्कृति और जातीय पहचान एक जैसी है। ब्रिटिश हुकूमत की विरासत- विधानसभा के प्रस्ताव में कहा गया था कि ब्रिटिश सरकार की 'फूट डालो और राज करो' नीति के कारण जो समुदाय अलग-अलग देशों, भारत, म्यांमार और बांग्लादेश, में बंट गया। मिजोरम चाहता है कि इन लोगों को एक ही प्रशासनिक इकाई में जोड़ा जाए। मानवीय पहलू- फरवरी 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद वहां से 29,000 से ज्यादा चिन शरणार्थी मिजोरम आ चुके हैं। इन्हें मिजो समाज ने अपनाया है। अगर सीमा पर बाड़ लगाई जाती है तो यह मानवीय जुड़ाव टूट जाएगा। यह भी पढ़ें - BSF-BGB Meeting: बांग्लादेश बॉर्डर पर BSF ने दिया 'सिंगल रॉ फेंस' पर जोर, सीमापार अपराध पर रोक लगाने की कवायद राज्य सरकार की कार्रवाई मिजोरम सरकार ने लोकसभा महासचिव और गृह मंत्रालय को पिछले साल पत्र लिखकर इस विरोध से अवगत कराया था। अभी राज्य सरकार म्यांमार और बांग्लादेश (चितगांव हिल ट्रैक्ट्स) से आए शरणार्थियों का बायोमेट्रिक पंजीकरण कर रही है। मिजोरम के नागरिक संगठनों और छात्र संघों ने भी केंद्र के फैसले का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि यह कदम जातीय रिश्तों को नुकसान पहुंचाएगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 28, 2025, 19:32 IST
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