नमामि गंगे कार्यक्रम: गंगा हुई स्नान योग्य, पर यूपी के दो हिस्सों में अब भी संकट; कचरा निपटान में बड़ी कमी

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा नदी का अधिकतर हिस्सा अब स्नान के लिए उपयुक्त पानी की गुणवत्ता मानकों पर खरा उतरा है। लेकिन उत्तर प्रदेश के दो खंडों में स्थिति अभी भी खराब है। इनमें कानपुर में फर्रुखाबाद-पुराना राजापुर और मिर्जापुर से तारीघाट तक के खंड शामिल हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने संसदीय समिति को दिए एक नोट में यह जानकारी दी। ये भी पढ़ें:-Supreme Court: आज CJI खन्ना की पीठ में वक्फ कानून से जुड़े मामले की सुनवाई; सांविधानिक वैधता को मिली है चुनौती पर्यावरण मंत्रालय ने दी जानकारी मंत्रालय के अनुसार, 2017 के बाद से गंगा की मुख्य धारा में मछली की मौतों की कोई घटना दर्ज नहीं हुई है। गंगा का पानी पीएच, घुलित ऑक्सीजन और जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) के मानकों पर खरा उतरा है। मंत्रालय ने यह जानकारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय स्थायी समिति को सौंपी है। ये भी पढ़ें:-Weather Updates: देश के अधिकतर हिस्सों में 8 तक बारिश-ओलावृष्टि के आसार, IMD का अलर्ट- आंधी-तूफान की भी आशंका हालांकि, मंत्रालय ने विभिन्न प्रकार के कचरे के निपटान के लिए बनाई गई नीति विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) के तहत लक्ष्यों और प्राप्ति के बीच बड़े अंतर को भी रेखांकित किया है। उदाहरण के लिए बैटरी कचरे के लिए राष्ट्रव्यापी ईपीआर दायित्व 3.35 लाख मीट्रिक टन से अधिक था, लेकिन केवल 53,755 मीट्रिक टन का लक्ष्य ही प्राप्त हो सका। प्लास्टिक कचरे के मामले में भी ईपीआर दायित्व 34 लाख मीट्रिक टन से अधिक था, लेकिन लगभग 19 लाख मीट्रिक टन का ही लक्ष्य पूरा हो सका।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 05, 2025, 07:08 IST
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