Una News: सात पार्षद, सफाई पर सब मौन, जिम्मेदार कौन

स्वच्छता पर संकट — भाग 6नगर पंचायत गगरेट की सफाई व्यवस्था पर उठे सवाल, श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों का फूटा गुस्साराजेश पाराशरघनारी (ऊना)। हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना का गगरेट कस्बा कूड़ा-कचरा प्रबंधन की बदहाली को लेकर आलोचना झेल रहा है। गगरेट नगर पंचायत के सात वार्डों में से किसी में भी ठोस कचरा प्रबंधन की ठोस व्यवस्था नहीं है। हालात ऐसे हैं कि शिवबाड़ी जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल को जाने से पहले ही गगरेट में कूड़े का बिखराव देखने को मिलता है। इससे श्रद्धालुओं में रोष है। गगरेट नगर पंचायत में सात वार्ड हैं और हर वार्ड का पार्षद है, लेकिन किसी भी पार्षद ने अपने क्षेत्र की स्वच्छता पर स्पष्ट जवाबदेही नहीं दिखाई। स्थानीय लोग सवाल कर रहे हैं कि जब वार्डों की हालत इतनी खराब है तो आखिर जिम्मेदारी कौन लेगा। नगर पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर भी सवाल उठ रहे हैं लेकिन उनके स्तर पर भी कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आ रही। जानकारी के अनुसार नगर पंचायत का ठोस कचरा अब आसपास की ग्राम पंचायतों की सीमाओं में फेंका जा रहा है। इससे वहां के ग्रामीणों में नाराजगी है। बाक्स गर्मी शुरू होते ही पंजाब और आसपास के इलाकों से सैकड़ों श्रद्धालु और सैलानी हिमाचल प्रदेश की ओर रुख करते हैं। वे प्रदेश की सीमा गगरेट में कदम रखते ही गंदगी से सामना कर निराश हो जाते हैं। इससे प्रदेश की छवि पर बुरा असर पड़ रहा है। यदि प्रशासन स्वच्छता पर गंभीरता दिखाए तो यही श्रद्धालु और सैलानी हिमाचल की तारीफ करते हुए लौटें और औरों को भी यहां आने की प्रेरणा दें। इससे स्थानीय लोगों को रोज़गार के नए अवसर मिल सकते हैं। बाक्स हमें जब भी समय मिलता है तो द्रोण शिव मंदिर और मां चिंतपूर्णी के दर्शन करने आते हैं। हर बार गगरेट में कचरे का आलम देखने को मिलता है। हिमाचल की सीमा में प्रवेश करते ही कूड़े के ढेर लगे होते हैं। यह देखकर मन खिन्न हो जाता है। -गौरव शर्मा, श्रद्धालु, होशियारपुर सोचा था कि यहां शांति और स्वच्छता मिलेगी, लेकिन गगरेट में जाम और सफाई व्यवस्था देखकर अंतरात्मा दुखी हो गई। बच्चे भी कह रहे थे कि पापा कहां ले आए हो। हम सोच रहे हैं कि अगली बार बच्चों को यहां लाना ठीक रहेगा या नहीं। -मनीष कुमार, सैलानी, लुधियाना साफ-सफाई की बात आती है तो नगर पंचायत सिर्फ फोटो खिंचवाने और सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने तक सीमित है। असली सफाई तो महीनों से नहीं हुई। यहां के व्यापारी और दुकानदारों को खुद झाड़ू लगानी पड़ती है, जबकि हम नगर पंचायत को इसके लिए क़ीमत अदा करते हैं। -भजन लाल, दुकानदार, गगरेट बाज़ारकई बार शिकायत की। गलियां ऊबड़-खाबड़ हैं। यहां पैदल चलना भी मुश्किल है। धूल, मिट्टी और गर्दा बेडरूम तक पहुंच जाता है, गगरेट का प्रशासन नाकाम है। कोई कार्रवाई नहीं होती, जबकि सफाई के नाम पर 230 रुपये प्रतिमाह वसूले जाते हैं। -जसवीर कौर, निवासी वार्ड-6

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 04, 2025, 18:55 IST
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