South Korea: दुष्कर्म, ब्लैकमेल और 1700 वीडियो.., कई नाबालिग को भी बनाया शिकार; साइबर अपराधी को उम्रकैद की सजा

दक्षिण कोरिया कीसियोल अदालत ने सोमवार को दक्षिण कोरिया में डिजिटल यौन शोषण के सबसे बड़े मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने 33 वर्षीय किम नोक-वॉन को उम्रकैद की सजा दी, जिसने 261 पीड़ितों का यौन शोषण, ब्लैकमेल और धमकी के जरिये एक संगठित ऑनलाइन नेटवर्क तैयार किया था। अदालत ने कहा कि उसके अपराध इतने गंभीर हैं कि समाज की सुरक्षा के लिए उसकी “स्थायी अलगाव” आवश्यक है। इस फैसले ने देश में डिजिटल अपराधों के खतरों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अदालत के अनुसार किम ने अगस्त 2020 से अपराधों की शुरुआत की। वह सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने वाली महिलाओं और टेलीग्राम पर गुप्त चैटरूम जॉइन करने की कोशिश कर रहे पुरुषों को निशाना बनाता था। वह उन्हें उजागर करने की धमकी देता और नए पीड़ितों की भर्ती करने के लिए दबाव डालता था। इसी तरह उसने एक पिरामिड जैसा ब्लैकमेल नेटवर्क खड़ा किया, जिसमें बड़े पैमाने पर डिजिटल रूप से तैयार की गई यौन सामग्री बनाई और साझा की जाती थी। पीड़ितों में अधिकांश नाबालिग थे। 16 पीड़ितों के साथ सीधे अपराध अदालत में पेश विवरण के अनुसार किम ने 16 पीड़ितों के साथ दुष्कर्म या यौन हमला किया, जिनमें 14 नाबालिग थे। उसने इन अपराधों में से 13 मामलों के वीडियो भी रिकॉर्ड किए। उसने करीब 1,700 यौन शोषणकारी वीडियो और तस्वीरें बनाई, जिनमें लगभग 70 पीड़ित शामिल थे। इनमें से 260 सामग्री को ऑनलाइन फैलाया गया ताकि पीड़ितों को डराकर ब्लैकमेल किया जा सके। इतना ही नहीं, उसने कई पीड़ितों के परिवार और कार्यस्थल पर भी ब्लैकमेल की कोशिश की। ये भी पढ़ें-Canada Nicholas Singh:भारतीय मूल का वांछित अपराधी कनाडा में हथियार समेत गिरफ्तार, निकोलस सिंह पर क्या आरोप साथियों पर भी सख्त कार्रवाई किम के अलावा 10 अन्य आरोपियों को दो से चार साल तक की सजा सुनाई गई है। इनमें पांच नाबालिग भी शामिल हैं। अदालत ने कहा कि इन सभी को पता था कि जिन नए लोगों को वे धमकियों के जरिए इस नेटवर्क में ला रहे हैं, उन्हें भी वैसी ही यौन यातना और ब्लैकमेल का सामना करना पड़ेगा जैसा उन्होंने झेला। बावजूद इसके, उन्होंने अपनी सामग्री सार्वजनिक होने के डर से अपराध को जारी रखा। डिजिटल स्पेस में नुकसान कई गुना बढ़ जाता है- अदालत अदालत ने कहा कि अधिकांश पीड़ित बच्चे और किशोर थे और उन्हें बेहद गंभीर मानसिक और शारीरिक पीड़ा झेलनी पड़ी होगी। डिजिटल यौन अपराधों में नुकसान तेजी से बढ़ता है और ऑनलाइन फैल चुकी सामग्री को पूरी तरह मिटाना लगभग असंभव होता है। अदालत ने चेताया कि यह मामला दिखाता है कि तकनीक के माध्यम से यौन हिंसा किस हद तक खतरनाक रूप ले चुकी है। यह फैसला ठीक पांच वर्ष बाद आया है जब इसी अदालत ने चो जू-बिन को ऐसे ही डिजिटल यौन अपराधों के लिए 40 वर्ष की सजा दी थी। अन्य वीडियो-

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 24, 2025, 17:43 IST
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