Vaccination Drive : यूपी में खसरा-रुबेला का विशेष टीकाकरण अभियान आज से, मेरठ-शामली समेत 12 जिलों पर फोकस

प्रदेश में आज से खसरा- रुबेला (एमआर) टीकाकरण विशेष अभियान शुरू हो रहा है। जिन बच्चों को यह टीका नहीं लगा है, उनकी जान को खतरा है। यह टीका लगवाकर इन बच्चों को तमाम बीमारियों से बचाया जा सकता है। उनकी जान का खतरा भी कम किया जा सकता है। यही वजह है कि विभाग की ओर से कम टीकाकरण वाले 12 जिलों के 205 ब्लॉक में एक-एक बच्चे की निगरानी की जाएगी। केंद्र सरकार ने दिसंबर 2026 तक खसरा- रूबेला मुक्त करने की लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत एक जून से 30 जून तक एमआर टीकाकरण विशेष अभियान शुरू किया जा रहा है। सामान्य तौर पर नौ माह पूरा होने पर खसरा- रुबेला का पहला टीका (एमआर 1) और 16 माह पूरा होने पर दूसरा टीका (एमआर 2) लग जाना चाहिए, लेकिन प्रदेश के कई जिलों में टीकाकरण प्रभावित हुआ। ऐसे में अब विशेष अभियान के तहत पांच साल तक के उन सभी बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा, जो अभी तक छूटे हुए हैं। मालूम हो कि इससे पहले नवंबर- दिसंबर 2024 में 305 ब्लॉकों में अभियान चलाकर छूटे हुए 2.36 लाख बच्चों का टीकाकरण किया गया था। इसी तरह हेड काउंट सर्वे रिपोर्ट के आधार पर 24 अप्रैल से 10 मई के बीच चले अभियान में 1.36 लाख बच्चों का टीकाकरण किया गया। अब 20 मई 2025 तक की रिपोर्ट के आधार पर नए सिरे से अभियान शुरू किया गया है। 12 जिलों पर रहेगा ज्यादा फोकस प्रदेश में एमआर 1 टीकाकरण 101.05 फीसदी और एमआर 2 97.67 फीसदी है। लेकिन हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) डाटा के अनुसार कई जिलों में 95 फीसदी से कम टीकाकरण हुआ है। ऐसे में पहले टीके के लिए 12 जिलों के 205 ब्लॉकों पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। ये जिले हैं ललितपुर, जालौन, कानपुर देहात, कानपुर नगर, हमीरपुर, शामली, मथुरा, आजमगढ़, मेरठ, अलीगढ़, बांदा और सोनभद्र। इसी तरह एमआर 2 खुराक की दृष्टि से 25 जिलों के 321 ब्लॉक की विशेष तौर पर निगरानी की जाएगी। संक्रमण की दर संतोषजनक प्रदेश में प्रति लाख जनसंख्या पर खसरा संक्रमण की दर 0.003 फीसदी रहीहै, जबकि छत्तीसगढ़ की 0.009 फीसदी, मध्य प्रदेश की 0.006 फीसदी और आंध्र प्रदेश की 0.005 फीसदी रही। क्यों जरूरी है खसरा- रुबेला का टीकरण केजीएमयू के बाल रोग विभाग के प्रो संजीव कुमार वर्मा ने बताया कि खसरा- रुबेला का टीकाकरण कराकर बच्चों को कई तरह की जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता है। जिन बच्चों को टीका नहीं लगता है उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और वे अक्सर बीमार रहने लगते हैं। निमोनिया, विटामिन ए की कमी, नाक, कान, गले का संक्रमण, बैक्टीरियल निमोनिया, खूनी पेचिस की समस्या होती है। कुछ बच्चों में रैबीज की तरह दिमागी बीमरी भी होती है, जिसमें पहले बच्चा पढ़ने लिखने में कमजोर होता है और फिर मृत्यू हो जाती है। इसी तरह रुबेला की वजह से शारीरिक विकास और संक्रमण होता है। यदि हर बच्चे को खसरा- रुबेला का टीका लगवा दिया जाए तो बाल मृत्यूदर का आंकड़ा भी घटेगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jun 01, 2025, 05:51 IST
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