फर्जी वारंट की खतरनाक साजिश: दो भाइयों को कर लिया गिरफ्तार, कोर्ट पहुंचे हुुआ खुलासा... पुलिस के होश उड़े
“सोचिए एक सुबह पुलिस आपके घर पहुंचे आपको गिरफ्तार करे और आपसे कहा जाए आपके खिलाफ गैर-जमानती वारंट है। आप चौंक जाएं, घबरा जाएं क्योंकि आपने न तो कोई अपराध किया है, न ही कोई मुकदमा है। आप खुद सोच में पड़ जाएं क्या ये कोई सपना है या साजिश” असली झटका तब लगता है जब कोर्ट में जाकर पता चलता है वो वारंट, जिसके नाम पर आपकी आजादी छीनी गई वो ही फर्जी था! न कोर्ट ने ऐसा वारंट जारी किया न रिकॉर्ड में उसका जिक्र है। अब सवाल सिर्फ कानून का नहीं है सिस्टम की साख का है। किसी की आजादी से खेलना क्या इतना आसान हो गया है अगर आज ये दूसरों के साथ हुआ है तो कल किसी के साथ भी हो सकता है। क्योंकि जब इंसाफ के कागज भी नकली बन जाएं तो हकीकत से ज्यादा खतरनाक होती है साजिश!” “ये सिर्फ एक फर्जी वारंट की कहानी नहीं ये उस खतरनाक साजिश की झलक है, जो सिस्टम की शक्ल में, अंदर से ही कानून को गुमराह कर रही है।” “लखीमपुर खीरी के दो निर्दोष भाइयों के साथ क्या हुआ कैसे हुआ और किसने किया ये फर्जीवाड़ा” पूरा सच इस रिपोर्ट में।” लखीमपुर के गोला छोटेलालपुर निवासी दो भाइयों प्रेमचंद्र और मुन्नालाल के नाम से फर्जी गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी कर डाक के माध्यम से पुलिस अधीक्षक को भेजा गया। खीरी पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट पहुंची तो पता चला एनबीडब्ल्यू फर्जी है। इस मामले में सिविल कोर्ट में तैनात कार्यालय लिपिक शुभम कुमार ने अज्ञात लोगों के खिलाफ वजीरगंज थाने में धोखाधड़ी और जाली दस्तावेज बनाने का केस दर्ज कराया है। ये भी पढ़े- Operation Sindoor: यूपी में रेड अलर्ट घोषित, डीजीपी ने महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुदृढ़ करने के दिए निर्देश शिकायतकर्ता के मुताबिक 29 अप्रैल को गोला थाने से दो सिपाही विशाल गौतम और पंकज कुमार सगे भाई प्रेमचंद्र और मुन्नालाल को गिरफ्तार कर कोर्ट पहुंचे। सिपाहियों ने बताया कि सगे भाइयों के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी था। कोर्ट ने अभिलेख चेक किए तो पता चला कि ऐसा कोई वारंट जारी ही नहीं किया गया था। जांच में यह भी पता चला कि जालसाजों ने नगराम थाने में दर्ज केस नंबर 345/24 और हजरतगंज थाने में दर्ज केस नंबर 25/24 में दोनों भाइयों प्रेमचंद्र और मुन्नालाल को आरोपी बताया था। हालांकि, पड़ताल में सामने आया कि दोनों के खिलाफ कोई केस ही नहीं दर्ज है। दोनों थानों के फर्जी केस को आधार बनाकर जाली गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। ये भी पढ़े- Operation Sindoor: मायावती ने सेना के पराक्रम को सराहा, अखिलेश सहित राजनेताओं ने कही ये बातें 12 अप्रैल को जारी हुआ वारंट, 15 को स्पीड पोस्ट से भेजा गया जांच में सामने आया कि फर्जी वारंट 12 अप्रैल को बनाया गया था और 15 अप्रैल को स्पीड पोस्ट के जरिये एसपी लखीमपुर खीरी को भेजा गया था। वारंट की लिखावट किसी भी कर्मचारी की राइटिंग से मेल नहीं खा रही थी। यह भी पता चला है कि 12 अप्रैल को जिस दिन वारंट जारी होना दिखाया गया है, उस दिन कोर्ट भी बंद थी। डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव ने बताया कि तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। विरोध जताया पर कोर्ट का आदेश दिखा नहीं माने पुलिसकर्मी खीरी पुलिस जब सगे भाइयों को गिरफ्तार करने पहुंची तो दोनों ने बताया कि उनके खिलाफ कोई केस ही दर्ज नहीं है। इस पर पुलिसकर्मियों ने कोर्ट का आदेश दिखाते हुए साथ चलने के लिए कहा। सगे भाइयों के परिजन भी पुलिस की इस कार्रवाई से हैरान दिखे। हालांकि, कोर्ट पहुंचने पर सभी को वास्तविकता की जानकारी हुई। वजीरगंज पुलिस स्पीड पोस्ट करने वाले जालसाज के बारे में पता कर रही है। सीसीटीवी कैमरे खंगाले जाने के बाद फर्जीवाड़ा करने वाले के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: May 07, 2025, 12:54 IST
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