Bihar Election: दो नए M व एक नए Y से तैयार हुआ सियासत का नया रसायन, इसी समीकरण पर रहा पूरा फोकस
बिहार की राजनीतिक चर्चा माई (एमवाई- यादव-मुसलमान) समीकरण के बिना अधूरी है। कारण बीते साढ़े तीन दशक से इस समीकरण ने न सिर्फ लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को डेढ़ दशक तक सत्ता सौंपी, बल्कि बाद के दो दशक तक राज्य की राजनीति में एक ध्रुव बनाए रखा। हालांकि इस बार चुनाव इस समीकरण से इतर दो नए एम (महिला और मल्लाह) व एक नए वाई (यूथ) पर केंद्रित रहा। राजग ने सत्ता बचाने व विपक्षी महागठबंधन ने सत्ता का सूखा खत्म करने के लिए इन्हें साधने की रणनीति को ही चुनाव प्रचार के केंद्र में रखा। हालांकि दो नए एम में से एक एम (महिला) और एक नए वाई (यूथ) की गूंज पिछले चुनाव में ही सुनाई दे गई थी। तब नाराज युवाओं ने विपक्षी महागठबंधन को करीब-करीब सत्ता के करीब पहुंचा दिया था। हालांकि युवाओं के इस वर्ग की नाराजगी पर तब महिलाओं का राजग के पक्ष में समर्थन भारी पड़ा था। एम फॉर मल्लाह की एंट्री इस चुनाव में एम फॉर मुसलमान ही नहीं एम फॉर मल्लाह की भी एंट्री हुई है। राजद ने राजग के मजबूत अति पिछड़ा वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम पद का चेहरा बनाया। कहने को तो सहनी की स्वजातीय मल्लाह बिरादरी की आबादी 2.5 फीसदी ही है, मगर सभी उपजातियों को मिला दें तो यह आंकड़ा दस फीसदी हो जाता है। मोदी सरकार के मखाना बोर्ड की स्थापना और इस बिरादरी के लिए की गई कई अहम घोषणाओं के बीच सहनी को डिप्टी सीएम पद का चेहरा बनाने से कोसी, सीमांचल व मिथिलांचल में मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया। एम पर सर्वाधिक दांव राजग ने राजद के माई (मुसलमान-यादव) वोट बैंक में सेंध की जगह इनके खिलाफ होने वाले हिंदू व गैर-यादव जातियों में समानांतर ध्रुवीकरण पर ध्यान दिया। दूसरी ओर राजद ने राजग के महिला वोट बैंक में सेंध लगाने और राजग ने इस वोट बैंक को हर हाल में साधे रखने के लिए सारी ताकत लगाई। नीतीश ने सीएम स्वरोजगार योजना के तहत दस हजरिया दांव चला। जीविका दीदी व सहायिकाओं का मानदेय बढ़ाया। तेजस्वी ने जीविका दीदी की सेवा स्थायी करने 30,000 रुपये वेतन की घोषणा की। इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा पेंशन 2,500 रुपये करने का वादा किया। ये भी पढ़ें: Bihar Exit Polls Analysis: एग्जिट पोल्स के अनुमानों के मायने क्या, सीएम का चेहरा या महिलाएं बनीं बड़ा फैक्टर नए वाई पर सबका दांव नए वाई मतलब यूथ पर दोनों प्रमुख गठबंधनों ने ही नहीं नई नवेली जनसुराज पार्टी ने बड़ा दांव लगाया। जनसुराज ने पलायन, बेरोजगारी का मुद्दा उठाने के साथ व्यवस्था परिवर्तन के नारे से इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की तो तेजस्वी ने हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की। घोषणाओं की भरमार के बीच राजग ने भी संकल्प पत्र में एक करोड़ रोजगार का अवसर देने का वादा किया। दरअसल राज्य में 29 साल से कम आयु के 1.70 करोड़ मतदाता हैं। जाहिर तौर पर यह वर्ग चुनाव परिणाम किसी भी दिशा में मोड़ने में सक्षम है। ये भी पढ़ें:बिहार चुनाव: बोलती खामोशी टूटी, एनडीए ने बदलाव की हुंकार को प्रो-इंकम्बेंसी में बदला 18 फीसदी मुसलमानों में नए नेतृत्व के लिए कुलबुलाहट पुराने एम यानी मुसलमानों में नए नेतृत्व के प्रति कुलबुलाहट ने भी इस चुनाव में सबका ध्यान खींचा। खासतौर पर महागठबंधन की ओर से 18 फीसदी हिस्सेदारी वाली बिरादरी को डिप्टी सीएम का पद नहीं देने को सीमांचल में एआईएमआईएम के साथ जनसुराज पार्टी ने बड़ा मुद्दा बनाया। एमआईएमआईएम के मुखिया ओवैसी ने अपनी जनसभाओं में इसे मुसलमानों के अपमान से जोड़ा और पूछा कि जब ढाई फीसदी मल्लाह बिरादरी को डिप्टी सीएम की कुर्सी मिल सकती है तो क्या 18 फीसदी मुसलमान सिर्फ दरी बिछाने के लिए हैं प्रशांत किशोर ने भी टिकट और पद वितरण में मुलसमानों की न्यूनतम भूमिका पर सवाल खड़े किए।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 12, 2025, 06:16 IST
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