अमृतसर के खालसा कॉलेज में 10वें अमृतसर साहित्य एवं पुस्तक मेले में उमड़े लोग

खालसा कॉलेज में 10वें अमृतसर साहित्य एवं पुस्तक मेले में आज के युवाओं की पसंद शहीदों की गाथा, पंजाब की विरासत और इतिहास नहीं बल्कि शेरों-शायरी की पुस्तकें है। मेले में स्टूडेंट्स महाराजा रणजीत सिंह, हरि सिंह नलवा, बंदा सिंह बहादुर, पंजाब का विभाजन, पंजाब 1984 जैसे बुक स्टाल की बजाए युवा गालिब की दीवान-ए-गालिब, मीर तकी मीर की कुल्लियात-ए-मीर, फैज अहमद फैज की नक्श-ए-फरियादी और दस्त-ए-सबा, साहिर लुधियानवी की तनहाईयां, जावेद अख्तर की लावा और राहत इंदौरी की नरगिसी जैसी किताबों वाले स्टॉल पर नजर आए। मेले में किताबों की खरीदारी के साथ-साथ यहां रिल्स बनाने वाले भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। मेले में बीकॉम के स्टूडेंट्स प्रभनेक सिंह ने बताया कि मोबाइल और रील्स से ऊब चुके हैं, यहां आकर शायरी की किताबें छूना ही सुकून देता है, गालिब की गजलें पढ़कर लगता है जैसे दिल की बातें शब्दों में उतर आईं। इस दौरान भाषा विभाग पंजाब के सहयोग से "आधुनिक युग में भाषा और साहित्य: चुनौतियां और संभावनाएं विषय पर संगोष्ठी करवाई गई। जिसका उद्घाटन सत्र में मुख्यातिथि जसवंत सिंह जफर ने किया। जबकि प्रख्यात विचारक अमरजीत सिंह ग्रेवाल और डॉ. राजेश शर्मा शामिल हुए। संगोष्ठी के पहले शैक्षणिक सत्र की अध्यक्षता डॉ. रमिंदर कौर, डॉ. मनमोहन सिंह और डॉ. योगराज अंगरीश ने की। इस मौके पर डॉ. हरिभान सिंह भाटिया, डॉ. मनजिंदर सिंह, डॉ. कंवलजीत सिंह और डॉ. अमरजीत सिंह आदि मौजूद थे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 18, 2025, 04:06 IST
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