आज भी है लोगों की पहली पसंद: मशीनों का दौर, रजाई में डोरे डालने का हुनर दिखा रहीं महिलाएं

आधुनिक बाजार में भले ही हल्के रेशमी कंबलों (क्विल्ट्स) का चलन बढ़ गया हो, लेकिन भीषण ठंड के लिए आज भी लोगों की पहली पसंद शुद्ध रूई से भरी हुई रजाई और गद्दे ही हैं। इन पारंपरिक रजाइयों की सबसे खास पहचान है इनमें ''डोरे डालने'' का काम, जो रूई को जगह पर बनाए रखता है और रजाई को टूटने (रुई के एक जगह जमा होने) से बचाता है। यह पारंपरिक और कलात्मक कार्य विशेष रूप से महिलाओं का कौशल माना जाता है, जिन्होंने इस हुनर को आज भी जीवित रखा हुआ है। अलीगढ़ शहर में कई ऐसे स्थान हैं, जहां आज भी पारंपरिक तरीके से रुई धुनने की मशीनें लगी हुई हैं। इन ठिकानों पर ग्राहक अपनी पुरानी रजाई या नई रूई लाकर भरवाते हैं और फिर उसमें डोरे डलवाने का काम करवाते हैं। यह काम मशीनों से नहीं, बल्कि हाथों से किया जाता है, जिसमें विशेषज्ञ महिलाएं महारत रखती हैं। शहर में दुबे का पड़ाव, सराय लबरिया, गूलर रोड, देहली गेट, बारहद्वारी, घुड़ियाबाग, किशनपुर आदि स्थानों पर खास तौर पर रजाई और गद्दों में मजबूत डोरे डालकर रूई को स्थायी रूप से स्थिर करने का काम किया जाता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 07, 2025, 17:19 IST
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