High Court : जालसाजी से नौकरी पाने वाला सहानुभूति का हकदार नहीं, 27 साल बाद शिक्षक की सेवा समाप्त
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जालसाजी से अनुकंपा नियुक्ति पाने वाले शिक्षक की नौकरी 27 साल बाद शून्य घोषित कर दी। कोर्ट ने कहा कि जालसाजी से प्राप्त नियुक्ति शुरुआत से ही शून्य मानी जाती है। जालसाजी से सरकारी नौकरी पाने वाला किसी भी तरह की सहानुभूति या न्यायिक राहत का हकदार नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने मिर्जापुर निवासी कृष्ण कांत की याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ता कृष्णा कांत ने शिक्षिका सुमित्रा देवी की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर 31 मार्च 1998 को नौकरी प्राप्त की थी। शिक्षिका की बेटियों स्नेहलता और अनीता ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद मामले की जांच हुई। इसमें पाया गया कि कृष्णा कांत वास्तव में शिक्षिका सुमित्रा देवी के नहीं, बल्कि उनके पति नथूराम की पहली पत्नी यशोदा देवी के पुत्र हैं। कृष्णा कांत ने खुद को शिक्षिका का पुत्र बताकर यह नौकरी हासिल की थी। संबंधित विभाग ने जुलाई 2025 के आदेश से याची की नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया और नियुक्ति को रद्द कर दी। याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने यह भी पाया कि याची के पिता नथूराम लेखपाल थे पर इसकी जानकारी छिपाई गई। हाईकोर्ट ने कहा कि यह एक सुस्थापित कानूनी सिद्धांत है कि जालसाजी सभी गंभीर लेनदेन को अमान्य कर देती है। याची ने जानबूझकर महत्वपूर्ण तथ्य छिपाकर गलत बयानी कर नौकरी पाई, यह नियोक्ता के साथ धोखाधड़ी है। धोखाधड़ी के आधार पर सरकारी नौकरी पाने वाला व्यक्ति किसी भी संवैधानिक संरक्षण या अधिकार का दावा नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 20, 2025, 14:56 IST
High Court : जालसाजी से नौकरी पाने वाला सहानुभूति का हकदार नहीं, 27 साल बाद शिक्षक की सेवा समाप्त #CityStates #Prayagraj #AllahabadHighCourt #HighCourtAllahabad #Forgery #SubahSamachar