Bhopal: सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अतिथि विद्वानों ने सरकार से लगाई गुहार, जाने क्या है कोर्ट का आदेश

मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में रिक्त पदों के विरुद्ध वर्षों से सेवा देने वाले अतिथि विद्वानों ने प्रदेश सरकार से अपने स्थाइत्व एवं फिक्स मासिक वेतन के लिए एक बार फिर से गुहार लगाइ है। इस बार अतिथि विद्वान महासंघ ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा की ऐसे ऐतिहासिक निर्णय पुरे देश में लागू होने चाहिए और उच्चतम न्यायालय का सम्मान करते हुए फिक्स मासिक वेतन देना चाहिए। जब योग्यता एवं अनुभव बराबर तो वेतन असमानता क्यों गौरतलब है कि गुजरात के गेस्ट फैकल्टी यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी की काम हम नियमित प्राध्यापक जैसे ही करते है और योग्यता भी रखते है पर उसके अनुसार वेतन बहुत कम एवं सुविधा ना के बराबर इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा की जब योग्यता एवं अनुभव बराबर है वर्क भी बराबर है तो वेतन सुविधा में असमानता क्यों। निर्देश देते हुए कहा की शिक्षकों को सम्मानित वेतन ना देने से ज्ञान का महत्त्व घटता है और समान काम के लिए न्यूनतम वेतन देने का आदेश जारी कर दिया इसी को लेकर एमपी के अतिथि विद्वानों में फिक्स मासिक वेतन एवं पैसे बढ़ोत्तरी की आशा जागी है। मंत्रों का जाप करना काफी नहीं है सुप्रीम कोर्ट ने कहा की सिर्फ सार्वजनिक कार्यक्रमों में गुरुब्रह्मा गुरुविष्णु जैसे मंत्रों का जाप करना काफी नहीं है। अगर हम इस मंत्र में विश्वास करते है तो यह हमारे व्यवहार में भी दिखना चाहिए। इस बता का ध्यान रखें कहीं आपके अतिथि विद्वानों का अपमान तो नहीं हो रहा। उनको फिक्स मासिक वेतन एवं भविष्य सुरक्षा देना सरकारों की नैतिक जिम्मेदारी होती है। महिला अतिथि विद्वानों ने कहा- हम भी लाड़ली बहना इधर महिला अतिथि विद्वानों ने भी सरकार से गुहार लगा दीं है। अतिथि विद्वान महासंघ की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष डॉ नीमा सिंह ने कहा की प्रदेश की सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी उच्च शिक्षित नेट पीएचडी योग्यता धारी बहने अतिथि विद्वान है लेकिन 20-25 वर्ष से अनिश्चित भविष्य के बावजूद सेवा कर रही है और सरकार ध्यान ही नहीं दें रही। डॉ सिंह ने कहा की मुख्यमंत्री जी तत्काल निर्णय लेने की कृपा करें अवसाद में जीवन बीत रहा है। यह भी पढ़ें-राजधानी भोपाल में फिट इंडिया साइकिल रैली का आयोजन, मंत्री और सांसद ने भी चलाई साइकिल फिक्स मासिक वेतन का आदेश जारी करें अतिथिविद्वान महासंघ केउपाध्यक्षडॉ अविनाश मिश्रा ने कहा है कि माननीय उच्चतम न्यायालय का ये निर्णय काबिले तारीफ है। ऐसे निर्णय ऐतिहासिक होते है ज़ो किसी एक पीटिशन कर्ता या राज्य सरकार को नहीं बल्कि पुरे देश के सिस्टम पर लागू होते है। मुख्यमंत्री संवेदनशील होकर विद्वानों के स्थाइत्व और फिक्स मासिक वेतन का आदेश जारी करें। यह भी पढ़ें-भोपाल में स्मार्ट मीटर से लोग परेशान, बढ़े हुए बिल लेकर पहुंचे रहवासी, बिजली कंपनी का करेंगे घेराव योग्य हैं अनुभवी हैं फिर भी भविष्य सुरक्षित नहीं मीडिया प्रभारीडॉ आशीष पाण्डेय ने कहा है किप्रवेश,परीक्षा,प्रबंधन,आध्यापन,नैक,मूल्यांकन,रूसा आदि समस्त कार्य अतिथि विद्वान ही करते है। कई जगह प्रचार्यों का भी दाइत्व निभा रहें है विद्वान।योग्य हैं अनुभवी हैंफिर भविष्य सुरक्षित नहीं। अब और परीक्षा ना लें शोषण का प्रतीक फालेन आउट शब्द को विलोपित करें एवं शोषणकारी शब्द अतिथि हटाए। हरियाणा सरकार जैसे ऐतिहासिक निर्णय प्रदेश सरकार को करना चाहिए।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 31, 2025, 18:58 IST
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