BJP Bengal Politics: पश्चिम बंगाल में कमल खिलाने के लिए भाजपा ने कसी कमर, कई शीर्ष नेताओं को दी जिम्मेदारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार चुनाव में जीत के बाद पश्चिम बंगाल को अपना अगला लक्ष्य करार दे दिया था। भाजपा अब इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तैयार हो गई है। पार्टी ने पूरे पश्चिम बंगाल को छः हिस्सों में बांटकर हर हिस्से के लिए विशेष रणनीति बनाते हुए इसे जीतने की रणनीति बनाई है। हर हिस्से के लिए भाजपा के अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है जो स्थानीय आवश्यकताओं को देखते हुए चुनावी रणनीति बनाएंगे और इन सीटों पर जीत दिलाएंगे। इसमें दिल्ली भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा और हिमाचल प्रदेश के संगठन मंत्री सिद्धार्थन शामिल हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने पश्चिम बंगाल में बड़ी जीत के दावे किए थे, लेकिन बेहद आक्रामक चुनाव प्रचार के बाद भी भाजपा 38.14 प्रतिशत वोटों के साथ 77 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। इसके पिछले चुनाव के मुकाबले पार्टी ने 74 सीटों की शानदार बढ़त हासिल की थी, लेकिन इसके बाद भी वह अपने दावे के अनुसार सत्ता तक नहीं पहुंच सकी। पिछली गलती से सीख लेते हुए पार्टी ने आक्रामक चुनाव प्रचार की बजाय इस बार जमीनी रणनीति अपनाकर जीत हासिल करने की रणनीति बनाई है। इसके लिए जिस क्षेत्र में जो मुद्दे प्रभावी और व्यापक जनहित से जुड़े होंगे, उन क्षेत्रों में वही मुद्दे उठाए जाएंगे। इसके लिए भाजपा की रिसर्च टीमें हर क्षेत्र के मुद्दों की पहचान में जुट गई हैं। इसके लिए गैरराजनीतिक लोगों के द्वारा जनता के बीच सर्वे कराकर भी मुद्दे उठाने की रणनीति अपनाई जा रही है। किन मुद्दों पर सफलता की संभावना एसआईआर के मुद्दे पर सबसे ज्यादा विरोध पश्चिम बंगाल में ही देखने को मिल रहा है। ममता बनर्जी ने इसे मुसलमानों और बंगालियों के खिलाफ बताते हुए इसके विरोध में मोर्चा खोल दिया है, लेकिन जिस तरह एसआईआर प्रक्रिया के शुरू होने के बाद बांग्लादेश भागने वालों की संख्या बढ़ रही है, माना जा रहा है कि इसका व्यापक असर हो सकता है। पश्चिम बंगाल के एक भाजपा नेता के अनुसार, ममता बनर्जी जितना एसआईआर के विरोध में बोल रही हैं, उतना ही बंगाल का मूल समुदाय एकजुट हो रहा है। उसे लग रहा है कि बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठिये उनके अधिकारों का हरण कर रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है। उलटे एसआईआर का विरोध कर वह उनका संरक्षण कर रही है। भाजपा के अनुसार यह मुद्दा उनके पक्ष में जा सकता है। एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भाजपा का मानना है कि ममता बनर्जी तीन बार से प. बंगाल में सत्ता में हैं। ऐसे में राज्य में पर्याप्त संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके बीच एंटी इनकंबेंसी फैक्टर मजबूत हो चुका है। इन मतदाताओं को रोजी, रोटी और बंगाल की अस्मिता जैसे मूल मुद्दों से प्रभावित किया जा सकता है। पार्टी इसके लिए जल्द ही अभियान शुरू कर इन मुद्दों पर हवा देने की तैयारी कर रही है। इसकी शुरुआत दिसंबर में प्रधानमंत्री की बंगाल यात्रा से हो सकती है। टीएमसी का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से भाजपा को लाभ का अनुमान नेता के अनुसार, टीएमसी नेता हुमायूं कबीर ने प. बंगाल में विवादित बाबरी ढांचे के निर्माण की बात कही है। यह ममता बनर्जी का राज्य के 30 प्रतिशत मुसलमानों को रिझाने की एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है। लेकिन उनका मानना है कि टीएमसी मुसलमान वोटरों के लिए जितना आक्रामक चुनाव प्रचार करेगी, उससे अन्य वर्गों के मतदाता एकत्र होंगे और इससे उसे लाभ हो सकता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 24, 2025, 18:41 IST
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