Chandigarh-Haryana News: आईपीएस वाई पूरण कुमार की आत्महत्या के मामले में सीबीआई जांच से फिलहाल इन्कार

सीबीआई पर पहले से ही बहुत बाेझ, एसआईटी की जांच में कोई चूक हो तो बताएं : हाईकोर्टइस प्रकार के आरोपों वाले मामले में कोई सजा हुई हो जो सुप्रीम कोर्ट तक टिकी हो तो बताएंचंडीगढ़। आईपीएस वाई पूरन कुमार की मौत के मामले में दर्ज एफआईआर में आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा पर कोर्ट ने सवाल उठाते हुए पूछा है कि क्या यह आरोप बनता है या नहीं। गाली देने या थप्पड़ मारने तक की बात हो तब भी 306 का मामला नहीं बनता। जांच चंडीगढ़ पुलिस कर रही है इसलिए निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठता। सीबीआई जांच से फिलहाल इन्कार करते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर जांच हरियाणा पुलिस करती तो बात अलग होती।मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि इस मामले में आरोप क्या हैं। कोर्ट को बताया गया कि उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से प्रताड़ित किया जा रहा था। उनका बार-बार तबादला कर दिया जाता था और उन्हें उनके पद के अनुसार वाहन भी नहीं दिया जाता था। यह सब उनके साथ लगातार हो रहा था जिसके चलते वे आत्महत्या के लिए मजबूर हो गए।कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के आरोपों पर क्या आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा लगाई जा सकती है हमें कोई मामला बताएं जिसमें इस प्रकार के आरोपों में दोषी करार दिया गया हो और फैसला सुप्रीम कोर्ट तक टिका हो। पीठ ने याची से कहा कि सीबीआई पहले से ही बहुत व्यस्त है इसलिए जांच स्थानांतरण का आदेश हल्के में नहीं दिया जा सकता। आपको जांच में किसी गड़बड़ी या त्रुटि का उदाहरण देना होगा। चंडीगढ़ पुलिस की ओर से पेश वकील ने बताया कि तीन आईपीएस अधिकारी जांच टीम में शामिल हैं और इस समय सीबीआई जांच की कोई आवश्यकता नहीं है। हरियाणा सरकार ने भी याचिका का विरोध किया और कहा कि याची पंजाब का निवासी है और मामला चंडीगढ़ का है और इसमें हरियाणा की कोई सीधी भूमिका नहीं है।यह है मामलायाची के वकील ने कोर्ट को बताया कि आईपीएस पूरण कुमार ने 7 अक्तूबर को अपने चंडीगढ़ स्थित आवास पर खुद को गोली मार ली थी। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और उस समय के रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया सहित कई अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए क्योंकि अगर वरिष्ठ अधिकारी भी सुरक्षित नहीं हैं तो आम व्यक्ति कैसे सुरक्षित रहेगा।हालांकि चीफ जस्टिस ने कहा कि चूंकि याची के वकील ने यह भी बताया कि लाठर की आत्महत्या की जांच हरियाणा पुलिस कर रही है जिससे दो अलग-अलग एजेंसियां दो मौतों की जांच कर रही हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि जांच में कोई गड़बड़ी या पक्षपात है तो उसका ठोस सबूत पेश किया जाए।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 31, 2025, 19:51 IST
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