SCO Summit: 'दादागिरी और ताकत की राजनीति बर्दाश्त नहीं...', ट्रंप का नाम लिए बिना शी जिनपिंग का बड़ा हमला

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शुरुआत में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में धमकी वाले व्यवहार की कड़ी आलोचना की और अधिक निष्पक्षता, न्याय और बहुपक्षीयता की मांग की। जिनपिंग की ओर से यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब चीन ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत समेत कई देशों पर भारी टैरिफ लगाए जाने की कड़ी निंदा की है। फिलहाल अमेरिका और चीन ने टैरिफ पर एक अस्थायी समझौता किया है, जिसमें ट्रंप ने बीजिंग पर भारी टैरिफ को फिर से 90 दिनों के लिए टाला है, ताकि बातचीत जारी रह सके। हालांकि, पिछले हफ्ते ट्रंप ने फिर धमकी दी थी कि अगर चीन अमेरिका को दुर्लभ खनिजों (रेअर-अर्थ मिनरल्स) का निर्यात रोकेगा, तो वह 200 फीसदी टैरिफ लगाएंगे। ये भी पढ़ें:पीएम मोदी और पुतिन की खास मुलाकात, हाथ मिलाया, गले लगकर जताया आभार; देखते रह गए शहबाज शरीफ राष्ट्रपति जिनपिंग ने यह बात 20 से ज्यादा देशों के नेताओं के सामने कही, जिनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और मध्य एशिया, पश्चिम एशिया, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के राष्ट्राध्यक्ष शामिल थे। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कुछ शक्तिशाली देशों पर हठधर्मिता और शक्ति की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने एक ऐसी विश्व व्यवस्था की मांग की जो न्याय और समानात पर आधारित हो और जिसमें सभी को भागीदारी का अधिकार हो। जिनपिंग ने कहा, लगभग 24 साल पहले जब इस संगठन की स्थापना हुई थी, तब हमने 'शंघाई भावना' की नींव रखी थी। यह भावना आपसी विश्वास, आपसी लाभ, समानता, सलाह-मशविरा, सभ्यताओं की विविधता का सम्मान और साझा विकास की कोशिशों पर आधारित है। हमने अपनी सीमाओं पर सैन्य विश्वास बढ़ाने की व्यवस्था सबसे पहले की, जिससे हमारी लंबी सीमाएं दोस्ती, विश्वास और सहयोग का सेतु बन गईं। हमने सबसे पहले आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद की तीन ताकतों के खिलाफ मिलकर बहुपक्षीय कार्रवाई शुरू की। हमने कानून व्यवस्था और सुरक्षा सहयोग को लगातार आगे बढ़ाया।' उन्होंने कहा, हमने कानून व्यवस्था और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाया, मतभेदों को सही तरीके से संभाला और सुलझाया, बाहरी दखल का स्पष्ट रूप से विरोध किया और क्षेत्र में शांति व स्थिरता बनाए रखी। हमने सबसे पहले बेल्ट एंड रोड पहल की शुरुआत की हम हमेशा अंतरराष्ट्रीय न्याय और निष्पक्षता के पक्ष में खड़े रहते हैं, सभ्यताओं के बीच समावेश और आपसी सीख को बढ़ावा देते हैं और प्रभुत्ववादी सोच और शक्ति की राजनीति का विरोध करते हैं। चीनी राष्ट्रपति ने कहा, भविष्य को देखते हुए हमें आज की चुनौतियों और बदलावों से भरी दुनिया में 'शंघाई भावना' को आगे बढ़ाना चाहिए। हमें मजबूत कदमों के साथ आगे बढ़ना चाहिए और अपने संगठन की संभावनाओं का बेहतर उपयोग करना चाहिए। हमें मतभेदों को किनारे रखकर एकता की राह पकड़नी चाहिए, क्योंकि साझा लक्ष्य ही हमारी ताकत और लाभ का स्रोत हैं। मतभेदों के बीच समानता तलाशने की इच्छा, समझदारी और दूरदर्शिता को दर्शाती है। ये भी पढ़ें: एससीओ में पाकिस्तान के सामने PM मोदी ने किया पहलगाम हमले का जिक्र; कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को समर्थन पर सवाल उठाए अपने भाषण में जिनपिंग ने आगे कहा, एससीओ के सभी सदस्य देश एक-दूसरे के दोस्त और साझेदार हैं। हमें एक-दूसरे के मतभेदों का सम्मान करना चाहिए, रणनीतिक संवाद बनाए रखना चाहिए, आम सहमति बनानी चाहिए और एकता व सहयोग को मजबूत करना चाहिए। हमें सहयोग के दायरे को और बड़ा करना चाहिए और हर देश की विशेष क्षमताओं का पूरा उपयोग करना चाहिए, ताकि हम इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता, विकास और समृद्धि के लिए अपनी जिम्मेदारी निभा सकें। चीनी राष्ट्रपति ने आगे कहा, दुनिया की स्थिति अब भी अस्थिर और अशांत बनी हुई है। हमें धमकाने की राजनीति को नकारना होगा, बाहरी दखल का विरोध करना होगा और सभी देशों के वैध विकास के अधिकारों की रक्षा करनी होगी। जिनपिंग ने बहुपक्षीयता की पैरवी करते हुए संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को बचाए रखने और वैश्विक व्यापार की अखंडता बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, हम न्याय और समानता का समर्थन करते हैं और हठधर्मी ताकतों और शक्ति की राजनीति का विरोध करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय मामलों में सम्मान पर आधारित रचनात्मक भागीदारी होनी चाहिए।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 01, 2025, 10:35 IST
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