Chitrakoot News: मंदाकिनी किनारे रामघाट पर माता सीता से मिलीं थीं देवकन्याएं, किया दीपदान
चित्रकूट। भगवान श्रीराम के वनवास काल की गवाह धर्मनगरी में माता सीता का प्रभाव भी कई बार प्रासंगिक हुआ। वनवास से लेकर लंका फतह के बाद रामघाट पहुंचने पर माता सीता से मिलने के लिए देवकन्याएं भी पहुंची। इसके बाद जब माता सीता महर्षि वाल्मीकि आश्रम में रहीं तब भी देवकन्याओं ने चित्रकूट आकर उनसे मिलीं। सबसे खास मंदाकिनी किनारे रामघाट पर दीपावली मिलन का वर्णन वाल्मीकि रामायण में है। स्थानीय संत महंत इसे महिला सशक्तिकरण से भी जोड़कर देखते हैं। कहते हैं कि दीपदान के दौरान रामजी ने पहले दीप प्रज्जवलित करने के लिए आगे बुलाया। इसी प्रकार देवकन्याओं के साथ दीपदान के लिए प्रेरित किया। कामदगिरी मंदिर के महंत स्वामी रामस्वरुपाचार्य बताते हैं कि दीपावली के दिन माता सीता वैदिक देवियों के अलावा नौ सिद्धियां भी आई थीं। पावन सरोवरों, नदियों को तभी महाकुंभ भी हुआ था। पद्म पुराण में भी अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईषित्व वशित्व व अणिमादिक सिद्धियां यहां सदैव निवास कर मां सीता की सेवा करती हैं। बताया कि माता सीता जब भी चित्रकूट में रहीं तब देवकन्याएं उनसे मिलीं। यहां तक कि लंका विजय के बाद जब माता भगवान राम व लक्ष्मण के साथ मंदाकिनी किनारे पहुंची तो उन्होंने पहले तो प्रभु राम के साथ दीपदान किया। इसके बाद देवलोक से पधारीं देवकन्याओं के साथ मंदाकिनी में दीपदान किया। जानकी महल के महंत सीताशरण दास बताते हैं कि रामायण काल से ही महिला सशक्तिकरण पर जोर रहा है। महिलाएं ही परिवार व समाज को आगे बढ़ाती हैं। महाकवि तुलसीदास ने भी रामचरित मानस में लिखा है कि मातृशक्ति अपरंपार है। लंका विजय के बाद जब माता सीता के साथ भगवान राम पुष्पक विमान से रामघाट पहुंचे तो सबसे पहले विमान से माता सीता को उतारा फिर दीपदान के लिए भी उन्हें आगे किया। आज भी चित्रकूट में विभिन्न देवी स्वरुपों में मौजूद हैं। मंदाकिनी नदी से लेकर जाह्नवी, बिरजा, कौशिकीय, गंगा, यमुना, सरयू, सरस्वती, पयस्विनी, शतरुद्र, भीमा, भीमरथी, वीणा, कृष्णवीणा, निर्विध्या, सावित्री, चंद्रभागा, ताम्रपर्णी, सिंधु, गौतमी, गंगासागर, संगम, कावेरी, नर्मदा व गोदावरी नदियां भी देवी स्वरुप हैं। ---------------तपोवन में देवियांचित्रकूट के तपोवन क्षेत्र में विमला, सुप्रभा, कान्ता, कन्तिमती, लक्षणा, अभिज्ञा, चंद्रा, चंद्रमती, रमया, रामप्रिया, ज्ञानभिज्ञ, प्रिया, विभूतिदा, ऋषिदा, रामपाद, रामरम्या, लक्षणा, भिज्ञा, जानकी पाद सेविका, कामना, शीतला, गौरी, योगिनी, सरस्वती, सावित्री, वनदेवी, चंडी, ज्वाला, शारदा, हिंगलाज, फूलमती, अबला एवं एशुइया के चित्रकूट आकर दिवाली मिलन का उल्लेख मिलता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 20, 2025, 21:10 IST
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