चिंताजनक: कॉप सम्मेलनों की वेबसाइटें खुद बनी डिजिटल प्रदूषण का स्रोत, 13,000 फीसदी तक बढ़ गया कार्बन उत्सर्जन
दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हर साल आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र के कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज (सीओपी) पर्यावरण की रक्षा के बड़े लक्ष्य के साथ जुटते हैं। लेकिन नई रिपोर्ट ने इसी डिजिटल प्रयास में छिपे विडंबनापूर्ण सच को उजागर कर दिया है। शोध के अनुसार पिछले लगभग 30 वर्षों में कॉप सम्मेलनों की वेबसाइटों से होने वाला डिजिटल कार्बन उत्सर्जन 13,000 फीसदी से अधिक बढ़ गया है और 2024 की कॉप-29 वेबसाइट अकेले 116.85 किलोग्राम सीओ2 उत्सर्जित कर चुकी है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबरा के शोधकर्ताओं का अध्ययन प्लोस क्लाइमेट में प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 1995 से 2024 के बीच कॉप सम्मेलनों की वेबसाइटों का आकार, जटिलता और डिजिटल संसाधनों में तेज विस्तार हुआ है। इस विस्तार ने ऊर्जा खपत और कार्बन फुटप्रिंट में वृद्धि की है। उपलब्ध इंटरनेट डेटा (कॉप-3, 1997) के अनुसार वेबसाइट के कुल विजिट से सिर्फ 0.14 किलोग्राम सीओ2 उत्सर्जित हुआ था जिसे एक परिपक्व पेड़ मात्र दो दिनों में अवशोषित कर सकता है, लेकिन 2024 की कॉप-29 वेबसाइट से उत्सर्जन बढ़कर 116.85 किलो हो गया। यह करीब 83,000% वृद्धि है। समय सीमा से पहले नेट-जीरो लक्ष्य हासिल करें विकसित देश: भारत पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि विकसित देशों को अपने नेट-जीरो लक्ष्यों को वर्तमान समयसीमा से काफी पहले हासिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत अगले महीने तक 2035 के लिए अपना संशोधित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) जमा करेगा। संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (सीओपी-30) के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन वास्तविक है। यह आने वाला खतरा है जो अस्थिर विकास व अस्थायी वृद्धि की प्रवृत्ति से पैदा हुआ है। नेट जीरो लक्ष्य का आशय है कि कोई देश, कंपनी या दुनिया कुल मिलाकर जितनी ग्रीनहाउस गैसें (जैसे कार्बन डाइऑक्साइड) वायुमंडल में छोड़ती है, उतनी ही मात्रा में उन्हें हटाने की व्यवस्था भी करें। मानव गतिविधियों से उत्पन्न कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और वायुमंडल से हटाई गई ग्रीनहाउस गैसों के बीच संतुलन बनाना। यह ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री तक सीमित करने और जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है। 2030 तक उत्सर्जन में 45 फीसदी की कमी और 2050 तक नेट-जीरो तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 19, 2025, 05:10 IST
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