Ganesh Utsav: क्या सच में आंकड़े की जड़ में प्रकट होते हैं भगवान गणेश? पढ़ें इंदौर के मंदिरों की अनोखी कहानी

मान्यता है कि आंकड़े के पौधे की जड़ में गणेशजी का वास होता है। सामान्यतः आंकड़े का पौधा दुर्लभ होता है और इसकी जड़ में गणेश जी की प्रतिकृति बनने में काफी लंबा समय लगता है। एक संयोग है कि इंदौर में दो आंकड़े के गणेश के मंदिर हैं। ये जन आस्था के केंद्र हैं। इनमें से एक स्नहेलतागंज में और दूसरा छत्रीबाग के समीप सिलावटपुरा में है। यहां गणेशोत्सव के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। श्वेतार्क गणेशजी के दर्शन से मानव का कल्याण होता है। भगवान शंकर को प्रिय है आंकड़े के फूल आंकड़े के फूल भगवान शंकर को प्रिय हैं। इनमें भी सफेद आंकड़े के फूलों का विशेष महत्व है। आंकड़े का फूल विषैले प्रकार का होता है, पर यह भोलेनाथ को प्रिय है, इसलिए यह भगवान शंकर को अर्पित किया जाता है। इसलिए आंकड़े की जड़ में बने गणेश को सबसे सिद्ध और फलदायक माना गया है। श्वेतार्क यानी सफेद आंकड़े के पौधे की जड़ों को भगवान गणेश का प्राकृतिक स्वरूप माना जाता है। इसकी जड़ों में स्वाभाविक रूप से गणेश जी की प्रतिमा बन जाती है। इस श्वेतार्क पौधे या गणेश प्रतिमा की घर में पूजा करने से समृद्धि आती है। नकारात्मकता दूर होती है और घर में दरिद्रता, रोग और परेशानियां नहीं रहती हैं। ये भी पढ़ें- अनोखा गणेश पंडाल:व्यापारी बनकर बैठे भगवान! पहने एक करोड़ के गहने; आयोजकों ने इस खास वजह से बप्पा को बनाया सेठ सिलावटपुरा में आंकड़े के गणेश जी सिलावटपुरा क्षेत्र में आंकड़े की गणपति जी का मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। इस क्षेत्र के निवासी तेजकरण राठौड़ ने इस आंकड़े के गणेश मंदिर की स्थापना अपने निवास पर की है। पहले हरसिद्धि मंदिर के सामने फूल मंडी हुआ करती थी। वहां आंकड़े का काफी बड़ा पेड़ था, जिसके फूल तेजकरण राठौड़ पूजन के लिए ले लाया करते थे। किसी कारण से यह आंकड़े का पेड़ वहां से हटाना पड़ा। विकट परिस्थितियों में वे उस पेड़ की जड़ को स्वयं खोदकर अपने निवास पर लेकर आए। जड़ में प्रकट हुई ढाई फीट ऊंची मूर्ति इस आंकड़े की जड़ में करीब ढाई फीट ऊंची मूर्ति प्रकट हुई। इसकी करीब 20 इंच लंबी सूंड है और सूंड के नीचे दो दांत भी दिखाई दे रहे हैं। गणेश जी पद्मासन मुद्रा में विराजित हैं। 1984 से उन्होंने घर पर ही पूजा आरंभ की और वर्ष 1988 में सिलावटपुरा के अपने नवीन मकान में गणेश जी का मंदिर बनवाया, जो आंकड़े के गणेशजी के नाम से प्रसिद्ध है। ये भी पढ़ें-पितृपक्ष के पहले दिन लगेगा साल का अंतिम चंद्र ग्रहण, जानें किन राशियों पर होगा शुभ असर स्नेहलतागंज में है अर्केश्वर पंचमुखी गणेश धाम इंदौर में आंकड़े के गणेश का दूसरा मंदिर स्नेहलता गंज में है। यहां स्वर्गीय राधेश्याम जोशी के निवास के आंगन में एक काफी बड़ा बगीचा था। करीब ढाई दशक पूर्व उनके बगीचे में करीब 27 फीट ऊंचा सफेद आंकड़े का पेड़ था। जोशी परिवार उस आंकड़े के पेड़ की पूजा करता था। इसी निवास में रहने वाली एक महिला को स्वप्न में आंकड़े के गणेश जी होने की सूचना मिली और उन्हें जड़ से बाहर निकलने का फरमान मिला। जब आंकड़े के पेड़ के स्थान पर खुदाई की तो वहां गणेश जी की पंचमुखी प्रतिमा प्राप्त हुई। यह खुदाई कार्य नवंबर 2002 में हुआ। इस खुदाई में आंकड़े के पेड़ की जड़ में पंचमुखी गणेश मिले। यहीं जोशी परिवार ने पंचमुखी श्री अर्केश्वर गणेश धाम की स्थापना की एवं मंदिर का निर्माण करवाया। अब यह स्वेत अर्क के बने पंचमुखी गणेश आसपास के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बन गए हैं। इंदौर नगर में स्थित उक्त दोनों आंकड़े के गणेशजी गहरी आस्था और विश्वास के केंद्र बन गए हैं। यहां भक्त चतुर्दशी और बुधवार के दिन दर्शन के लिए आते हैं। गणेशोत्सव में यहां दर्शनार्थियों की काफी भीड़ रहती है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 02, 2025, 12:22 IST
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