Ludhiana News: नशे से आजादी... दुआ, दवा और खेल से नशा छुड़वा रहे गुरमुख
-पिता एवं परिवार की बचत से छुड़वा चुके हैं 40 युवाओं की नशे की लत---कंवरपालहलवारा। हॉकी ओलंपियन और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में 22 साल सेवाएं दे चुके भारतीय वायुसेना अधिकारी अवतार सिंह घुम्मण के इकलौते पुत्र गुरमुख सिंह घुम्मण पिछले कई वर्षों से नशे के खिलाफ एक अनोखी जंग लड़ रहे हैं। खास बात यह है कि गुरमुख ने न तो कोई एनजीओ बनाई है और न ही उन्हें किसी सरकारी या गैर-सरकारी संस्था से कोई आर्थिक सहायता मिलती है। अपनी मेहनत की कमाई और पिता-पुरखों की बचत से वे नशे की गिरफ्त में फंसे युवाओं का इलाज करवाकर उन्हें खेलों से जोड़ रहे हैं। उनका एक ही मिशन है कि दुआ, दवा और खेल से युवाओं को नशे से आजादी दिलाना।42 वर्षीय गुरमुख सिंह अब तक करीब 40 युवाओं को नशे की लत से बाहर निकाल चुके हैं। इलाज के बाद भी वे लगातार इन पर नजर रखते हैं, ताकि कोई पीड़ित दोबारा इस दलदल में न फंसे। उनका मानना है कि नशा करने वालों को समाज में नफरत की नजर से देखा जाता है, इस कारण अधिकतर लोग इसकी गिरफ्त से बाहर नहीं आ पाते। नशा छुड़वाने के लिए दवा से ज्यादा दुआ और परिवार व समाज के प्यार की जरूरत होती है।गुरमुख के अनुसार नशा पूर्ति के लिए कई युवा खुद नशा बेचने लगते हैं। उन्होंने ऐसे युवाओं को भी प्रेरित कर इस रास्ते से बाहर निकाला है। नशा मुक्ति के साथ उन्हें खेलों में लाने पर जोर देते हुए गुरमुख ने अपने गांव घुम्मण में वालीबॉल का मैदान तैयार करवाया है, जहां हर रोज शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक युवाओं को खिलाया जाता है।परिवारों के लिए सलाहगुरमुख का कहना है कि नशा मुक्ति की प्रक्रिया शुरू होने के बाद कम से कम एक साल तक पीड़ित को जेब खर्च न दिया जाए। मानसिक चिकित्सक की दवा स्वयं हाथों से खिलाएं और उसे कभी अकेला न छोड़ें। गुरमुख ने सरकार से मांग की है कि हर ब्लॉक में आधुनिक सुविधाओं वाले नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जाएं जहां मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात हों। उनका कहना है कि वर्तमान में सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों में जगह, सुविधाओं और मेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। साथ ही नशा छोड़ने के बाद युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार उपलब्ध कराया जाए।मांगता हूं जिंदगी के 10 दिनगुरमुख बताते हैं कि नशे की गिरफ्त में आए युवाओं की काउंसलिंग के दौरान वे उनसे जिंदगी के 10 दिन मांगते हैं। इन दिनों में लुधियाना के माहिर मानसिक रोग विशेषज्ञों से इलाज और दवा दिलवाई जाती है। कई मामलों में जब पीड़ित की डेली डोज अधिक होती है तो विदड्रॉल सिंपटम्स भी गंभीर हो जाते हैं, जिन पर अधिक समय और धन खर्च करना पड़ता है। गुरमुख सिंह का यह प्रयास इस बात का प्रमाण है कि यदि जज्बा और सच्ची नीयत हो तो बिना किसी संस्थागत सहारे के बिना भी समाज में बदलाव लाया जा सकता है। उनका मानना है कि एक दिन पंजाब को नशे की दलदल से आजादी अवश्य मिलेगी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 14, 2025, 19:30 IST
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