Indore News: इंदौर में बिखरे बिहार के रंग, लोकगीतों पर झूम उठीं 'सखी-बहिनपा' समूह की महिलाएं

शहर के मेघदूत गार्डन में मिथिला की समृद्ध लोकसंस्कृति और प्रेम का प्रतीक 'सामा चकेवा' पर्व बहुत धूमधाम से मनाया गया। सखी - बहिनपा मैथिलानी समूह, इंदौर इकाई द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मिथिलांचल से जुड़ी महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और पारंपरिक रीति-रिवाजों को निभाया। क्या है सामा चकेवा पर्व सखी - बहिनपा मैथिलानी समूह की अध्यक्ष आरती झा ने इस पारंपरिक पर्व के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सामा-चकेवा बिहार के मिथिला क्षेत्र का एक प्रमुख लोकपर्व है। यह पर्व छठ पूजा के तुरंत बाद, कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी से शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा तक मनाया जाता है। पूर्णिमा की रात को सामा और चकेवा की मिट्टी की मूर्तियों को नदी या तालाब में विसर्जित कर उन्हें विदाई दी जाती है। यह भी पढ़ें Indore News: बेटे ने पूर्व कुलपति को घर से निकाला, कलेक्टर ने दी सीधी चेतावनी, कहा- 'नहीं सुधरा तो' भाई-बहन के अटूट प्रेम की कथा इस पर्व की उत्पत्ति भगवान श्रीकृष्ण की पुत्री 'सामा' और उनके भाई 'चकेवा' से जुड़ी एक प्रसिद्ध लोककथा से हुई है। कथा के अनुसार, जब सामा पर झूठा आरोप लगाकर उन्हें अन्याय का सामना करना पड़ा, तब उनके भाई चकेवा ने ही उन्हें न्याय दिलाया था। भाई-बहन के इसी प्रेम, विश्वास और निष्ठा की स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है। पारंपरिक मूर्तियों और लोकगीतों से हुई पूजा इंदौर में बसे मैथिलानी समूह की महिलाओं ने इस कार्यक्रम में पारंपरिक रूप से मिट्टी से सुंदर मूर्तियां बनाईं। इनमें सामा, चकेवा, सुग्गा (तोता), डमरू, आटा चक्की आदि शामिल थे। इन मूर्तियों को सूप (बांस की डलिया) में सजाकर पूजा की गई और महिलाओं ने सामूहिक रूप से मिथिला के पारंपरिक लोकगीत गाकर इस पर्व को धूमधाम से मनाया। यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह मिथिला की जीवंत लोकसंस्कृति, परिवारिक स्नेह और समाज में भाईचारे की भावना का प्रतीक है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 04, 2025, 18:01 IST
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