Anti-Drone Vehicle: धराशायी होंगे दुश्मन ड्रोन, 10 KM की रेंज.. एक साथ 50 ड्रोन मारेगा 'एंटी ड्रोन गश्ती वाहन'
सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत प्रदान करने, बॉर्डर के पार से हथियार एवं ड्रग्स की तस्करी रोकने और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जान बचाने के लिए भारत का पहला 'एंटी ड्रोन गश्ती वाहन' हैदराबाद में लांच किया गया है। यह वाहन 'पारंपरिक वाहन-आधारित प्रणालियों' के विपरीत है। इस वाहन को रक्षा के एक प्वाइंट से दूसरे प्वाइंट तक त्वरित गति से ले जाया जा सकता है। एंटी-ड्रोन गश्ती वाहन, चलते समय ड्रोन के खतरों का सक्रिय रूप से मुकाबला करता है। सीमाओं, शहरों और महत्वपूर्ण गलियारों में ड्रोन का पता लगाता है। उस पर नजर रखता है और उन्हें निष्क्रिय करता है। श्रीनगर स्थित चिनार कॉर्प्स (15) के पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग और लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप पांडे (सेवानिवृत्त) ने हैदराबाद स्थित आईटी सिटी में बुधवार को 'इंद्रजाल ड्रोन डिफेंस' द्वारा किए गए भारत के पहले एंटी-ड्रोन गश्ती वाहन (एडीपीवी) लॉन्च किया है। उन्होंने इसे एक ऐसा अभूतपूर्व, पूरी तरह से मोबाइल, एआई-सक्षम काउंटर-ड्रोन सिस्टम बताया है, जिसे ड्रोन-आधारित खतरों के मद्देनजर, देश की प्रतिक्रिया को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए डिजाइन किया गया है। इंद्रजाल रेंजर के निर्माण की तात्कालिकता, हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी दो बड़ी घटनाओं से पुष्ट हुई, जिसमें यह बात सामने आई है कि कैसे ड्रोन, भारत की सीमा में सेंध लगाने की महत्वपूर्ण कड़ी बन गए हैं। इस साल, अभी तक बीएसएफ द्वारा 255 पाकिस्तानी ड्रोनों को निष्क्रिय किया गया है। इससे यह बात साबित होती है कि ड्रोन किस तरह से भारत में 3 लाख करोड़ रुपये के ड्रग तस्करी तंत्र के 'प्राथमिक ट्रांसपोर्ट' का माध्यम बन गए हैं। ऐसे में भारत को एक ऐसे मोबाइल, तेज प्रतिक्रिया वाले ड्रोन-रोधी वाहन की तत्काल आवश्यकता थी, जो वास्तविक समय में ड्रोनों का पता लगा सके। उन्हें ट्रैक कर नीचे गिरा दे और लोगों की जान बचा सके। पकड़ा गया हर ड्रोन एक सुरक्षित जीवन के बराबर है। पारंपरिक वाहन-आधारित ड्रोन-रोधी उपकरण, पार्किंग में ही काम करते थे। इंद्रजाल रेंजर को एक विशेष रूप से निर्मित लड़ाकू वाहन के रूप में डिजाइन किया गया है। इसकी मदद से चलते-फिरते ड्रोन का पता लगाना आसान होगा। रियल टाइम गश्त और निगरानी रहेगी। एआई के माध्यम से स्वायत्त खतरे का आकलन किया जा सकेगा। वाहन में ड्रोन के तत्काल अवरोधन और निष्प्रभावीकरण, ये दोनों व्यवस्था रहेंगी। सीमावर्ती सड़कों, नहरों, कृषि क्षेत्रों, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और घनी शहरी बस्तियों में किसी भी तरह के ड्रोन खतरे को रोका जा सकेगा। लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप पांडे (सेवानिवृत्त) ने कहा, भारत के युवा एक सुरक्षित राष्ट्र के हकदार हैं। एक ऐसा राष्ट्र, जो अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क की छाया से मुक्त हो। 'एंटी-ड्रोन पेट्रोल व्हीकल' जैसी तकनीक केवल एक मशीन नहीं है। ये देश के भविष्य की रक्षा करने वाली ढाल हैं। एंटी-ड्रोन पेट्रोल व्हीकल' न केवल सीमाओं पर दुश्मन के ड्रोन को निष्क्रिय करेगा, बल्कि देश के भीतर विभिन्न सुरक्षा मोर्चों पर तैनात बलों के लिए बड़ा मददगार साबित होगा। इंद्रजाल के सीईओ किरण राजू ने बताया, देश का पहला 'एंटी-ड्रोन पेट्रोल व्हीकल' तैयार है। इसे 'इंद्रजाल' का नाम दिया गया है। गाड़ी पर लगा यह सिस्टम 10 किलोमीटर के क्षेत्र में ड्रोन को डिटेक्ट करेगा। पांच किलोमीटर के दायरे में ड्रोन का सायबर टेकओवर होगा। तीन किलोमीटर में क्षेत्र में ड्रोन को जाम यानी सॉफ्ट किल कर दिया जाएगा। दो किलोमीटर के दायरे में 'एंटी-ड्रोन पेट्रोल व्हीकल' पर लगे सिस्टम से इंटरसेप्टर ड्रोन लांच होगा, जो दुश्मन के ड्रोन को मार गिराएगा। किरण राजू ने बताया, प्रत्येक ड्रोन के निष्क्रिय होने का अर्थ है जीवन की सुरक्षा और भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, इंद्रजाल की तैनाती के लिए रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ बातचीत चल रही है। संभव है कि बहुत जल्द यह अचूक तकनीक, बॉर्डर और आतंरिक सुरक्षा के मोर्चे पर तैनात दिखाई दे। भारतीय सेना और नौसेना की जरुरतों के मुताबिक, इस वाहन पर लगी तकनीक में बदलाव किया जाएगा। इसके लिए रिसर्च एंड डेवेलपमेंट पर काम हो रहा है। 'एंटी-ड्रोन पेट्रोल व्हीकल' इंद्रजाल, का सफल ट्रायल किया गया है। इसकी मदद से एक ही लोकेशन पर छह दिन में 40 ड्रोन जब्त किए गए हैं। गाड़ी पर लगा एंटी ड्रोन सिस्टम, छह सात घंटे तक वाहन को स्टार्ट किए बिना काम कर सकता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आर्मी की एक कमांड में इस सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था। एडीपीवी इंद्रजाल रेंजर, 10 किलोमीटर तक 360° डिटेक्शन और ट्रैकिंग, संवेदनशील क्षेत्रों की डिजिटल जियोफेंसिंग, स्वचालित उल्लंघन रिकॉर्डिंग, अनधिकृत ड्रोन का साइबर टेकओवर और पुलिस कमांड सेंटरों के साथ सहज एकीकरण को सक्षम बनाता है। यह वाहन हवाई अड्डों, बंदरगाहों, रिफाइनरियों, औद्योगिक गलियारों, बिजली संयंत्रों, मंदिरों, सरकारी परिसरों और वीआईपी गतिविधियों की सुरक्षा के लिए त्वरित तैनाती प्रदान करता है। यह बिना किसी स्थायी स्थापना के हवाई खतरों के विरुद्ध एक गतिशील सुरक्षा घेरा बनाता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 27, 2025, 20:04 IST
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