Mahakumbh : गंगा की रेती लेकर नैहर से विदा हुईं भगवान राम की सखियां, अर्धकुंभ में मिलने का किया वादा
त्रिजटा स्नान के पश्चात भगवान राम की सखी भाव में उपासना करने वालीं सखियों ने भी कुंभ नगरी से विदाई ले ली। नैहर से विदाई के समय आंचल में गंगा की रेत भी गठिया ली। अर्ध कुंभ में मिलने का वादा करने के साथ उन्होंने सभी से विदाई ली। कुंभनगरी में आस्था के हजारों रंग बिखरे रहे। इन्हीं में राम की सखियां भी शामिल रहीं। पिछले एक माह से अनी अखाड़ों में इन सखियों के भजन गूंज रहे थे। सखी संप्रदाय में शामिल सखियां शारीरिक रूप से पुरुष हैं लेकिन, राम की उपासना सखी भाव से करने की वजह से वह खुद को स्त्रियों की तरह सजाते-संवारते हैं। हाथों में रंग-बिरंगी चूड़ियां, चेहरे पर लाली, आंखों में काजल के साथ पांव में आलता लगाए इन सखियों के लिए राम दुल्हा सरकार हैं। जनकपुरी धाम से आईं सखी वृंदा बताती हैं भगवान राम से सखियों का रिश्ता जीजा-साली का है। उन्होंने बताया सखी परंपरा का जन्म सीता के साथ हुआ। सीता के साथ आठ साखियां भी जमीन से उत्पन्न हुईं। इनमें चारशिला, चंद्रकला, रूपकला, हनुमाना, लक्षमाना, सुलोचना, पदगंधा एवं बटोहा शामिल हैं। इस नाते से यह सीता की बहनें हैं। राम इनके जीजा। अपने इस रिश्ते के चलते भगवान से छेड़छाड़ से भी वह बाज नहीं आतीं। इनके भजनों में भी राम से छेड़छाड़ के तमाम प्रसंग मौजूद हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Feb 16, 2025, 20:26 IST
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