भक्ति और मुक्ति दोनों के दाता हैं भगवान शंकर : सुमित शास्त्री
रक्कड़ (कांगड़ा)। तहसील रक्कड़ के चपलाह गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन पंडित सुमित शास्त्री ने कहा कि भगवान शंकर भक्ति और मुक्ति दोनों के दाता हैं। उन्होंने महारास लीला का भावपूर्ण वर्णन करते हुए बताया कि यह लीला जीव और ब्रह्म के मिलन की प्रतीक है, जो शरद पूर्णिमा की रात स्वयं भगवान कृष्ण ने रचाई थी। इस लीला में भगवान शंकर ने भी प्रवेश किया, जो इस बात का प्रतीक है कि यह भक्ति की चरम अवस्था है। शास्त्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस लीला के माध्यम से ब्रज की गोपियों के अहंकार का भी अंत किया। इसके बाद श्रीकृष्ण द्वारा राजा मुचकुंद से कालयवन का उद्धार करवाने की कथा सुनाई गई। जब राजा मुचकुंद ने प्रभु से भक्ति का वरदान मांगा, तो श्रीकृष्ण ने कहा कि यह जन्म तो नींद में चला गया, भक्ति अगले जन्म में प्राप्त होगी।कथा के दौरान रुक्मिणि और श्रीकृष्ण की सुंदर झांकी निकाली गई, जिसने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। नी मैं नचना श्याम दे नाल और आज मेरे श्याम की शादी है… जैसे भजनों पर श्रोता झूम उठे। इस अवसर पर रमेश चंद, इंद्रेश शर्मा, अशोक धीमान, धर्म सिंह, पिंकड़ शर्मा, पूनम शर्मा, किरण, अनिता धीमान, शालिनी शर्मा सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
- Source: www.amarujala.com
- Published: May 23, 2025, 17:06 IST
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