भारतीय ज्ञान परंपरा में सफलता के अनेक सूत्र छिपे : प्रो. राम विलास
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राम विलास मिश्र ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में सफलता के अनेक सूत्र छिपे हुए हैं। कड़ी मेहनत से सफलता प्राप्त की जा सकती है। संत कबीर कभी किसी विद्यालय में पढ़ने नहीं गए, लेकिन अब उनकी रचनाओं पर शोध होता है। छात्र-छात्राओं को चरैवेती-चरैवेती के मंत्र पर आगे बढ़ना चाहिए। वे गीता और वेदों का अध्ययन करें, जिससे सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा मिल सके।पूर्व कुलपति विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद सभागार में लोहिया इनक्यूबेशन फाउंडेशन व व्यवसाय उद्यमिता एवं प्रबंधन विभाग की ओर से आयोजित ''''लोकल टू ग्लोबल : मार्केटिंग ट्रांसफॉर्मेटिव स्ट्रेटजीज डिजिटल इनोवेशन एंड सस्टेनेबल ग्रोथ'''' विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। विशिष्ट अतिथि वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि ताइवान, दक्षिण कोरिया, चीन व अमेरिका के बाद चुनिंदा देशों में अब भारत भी सेमी कंडक्टर बना रहा है। उन्होंने कहा कि इसीलिए अमेरिका को भी यह चिंता है कि कहीं भारत बड़ा निर्यातक न बन जाए और उसे चीन के बाद उत्पादन के क्षेत्र में भारत से चुनौती न मिलने लगे। इसके चलते अमेरिकी राष्ट्रपति लगातार बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन अभी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिसमें काम करने की आवश्यकता है। भारत तेजस का निर्माण तो करता है, लेकिन यात्री विमान नहीं बनाता है। तेजस का इंजन भी भारत में नहीं बनता है। लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाना होगा। क्रय शक्ति बढ़ेगी तो इसका लाभ इंडस्ट्री को मिलेगा।लोकल से ग्लोबल बनने के लिए क्वालिटी पर विशेष ध्यान देना होगा : कुलपतिअध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डाॅ. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अनेक क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। मेक इन इंडिया व वन डिस्ट्रिक-वन प्रोडक्ट जैसी अनेक योजनाएं हैं, जो आत्मनिर्भरता को बढ़ा रही हैं। लोकल से ग्लोबल बनने के लिए क्वालिटी पर विशेष ध्यान देना होगा। विद्यार्थियों को उद्यमिता से जुड़ना चाहिए, जिससे वे औरों को भी रोजगार दे सकें।विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत करें युवाएमबीए के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. आरएन राय ने कहा कि दुनिया में सबसे सस्ते उत्पाद भारत के हैं। इसीलिए भारत निर्यातक के तौर पर उभर रहा है। यूपीआई का सबसे ज्यादा उपयोग भारत में होता है, जबकि अन्य देश परेशान हैं कि वे अपने यहां यूपीआई को किस तरह से बढ़ावा दें। 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए युवाओं को मेहनत करनी चाहिए। इस दौरान विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र वर्मा, प्रो. बीडी तिवारी, प्रो. एलके सिंह, प्रो. आरके तिवारी, प्रो. एसएस मिश्र, प्रो. हिमांशु शेखर सिंह, प्रो. नीलम पाठक, प्रो. सीके मिश्र, प्रो. माला उपाध्याय, डाॅ. रामजीत सिंह यादव, डाॅ. जीवन प्रकाश त्रिपाठी मौजूद रहे।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 07, 2025, 20:04 IST
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